चुनावी प्रचार में बिगड़ी तेजस्वी यादव की तबीयत, सुरक्षाकर्मी ने सहारा देकर स्टेज से उतारा, बोले- बेरोजगार युवाओं की तकलीफ़ के आगे यह कुछ भी नहीं

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By अंकित सिंह | May 04, 2024

चुनावी प्रचार में बिगड़ी तेजस्वी यादव की तबीयत, सुरक्षाकर्मी ने सहारा देकर स्टेज से उतारा, बोले- बेरोजगार युवाओं की तकलीफ़ के आगे यह कुछ भी नहीं

बिहार के अररिया में चुनाव प्रचार के दौरान राजद नेता तेजस्वी यादव को पीठ में हल्की चोट लग गई। एक वीडियो में दिखाया गया कि तेजस्वी यादव को मंच से उतरने में सुरक्षाकर्मी मदद कर रहे हैं। राजद ने एक्स पोस्ट में लिखा कि तेजस्वी यादव चोट लगने के बावजूद भी आपके बीच गए क्योंकि आपको आपके मुद्दों से भटकने से रोकना ज़रूरी है, आरक्षण मिटाने और संविधान बदलने की कसम खाए संघियों से सचेत करना ज़रूरी है, बलात्कारियों को संरक्षण देने और उन्हें देश से भगाने वालों के वास्तविक चरित्र से परिचय करवाना ज़रूरी है, इसीलिए तेजस्वी यादव का आपके पास आना ज़रूरी है।

 

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वहीं, तेजस्वी ने एक्स पोस्ट में लिखा कि महीनों से अलट-पलट वाली अथक सामाजिक राजनीतिक यात्रा रही है। आराम के अभाव एवं निरंतर यात्रा के कारण दो हफ़्ते से कमर में हल्का दर्द था, दो दिन से अचानक बढ़ गया। लेकिन मेरा ये दर्द बिहार के उन करोड़ों बेरोजगार युवाओं की तकलीफ़ के आगे कुछ भी नहीं है जो नौकरी-रोजगार की आस में बैठे हैं जिनके सपनों को विगत 10 वर्षों में धर्म की आड़ में कुचला गया है। उन्होंने कहा कि मैं अपने दर्द को भूल जाता हूँ जब देखता हूँ कैसे गरीब माताओं-बहनों को महंगाई के कारण रसोई चलाने में भारी पीड़ा का अनुभव होता है। किसान भाइयों को सिंचाई के साधन व फसल का उचित दाम नहीं मिलने तथा संसाधनों के अभाव एवं रोजी-रोटी के लिए लाखों साथियों के पलायन का कष्ट देखता हूँ तो मुझे मेरा दर्द महसूस भी नहीं होता।

 

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उन्होंने आगे लिखा कि छात्र को पीड़ा हैं क्यूँकि उन्हें अच्छी पढ़ाई नहीं मिल पा रही। बिहार के मेरे बुज़र्गों की पीड़ा है कि उन्हें अच्छी दवाई नहीं मिल पा रही, थाना और ब्लॉक के भ्रष्टाचार से आमजन परेशान है। हर वर्ग को पीड़ा है क्यूँकि उनके अधिकार, उनका न्याय उन्हें नहीं मिल पा रहा है। मैं इन सबों की तकलीफ़ में अपने आप को सांझीदार मानता हूँ। उन्होंने कहा कि बिहार में NDA सरकार से जनता त्रस्त है। ऐसे में यदि मैंने अपनीं पीड़ा की चिंता की और ये कदम रुक गए तो फिर लोगों की उम्मीदें भी बुझ जाएगीं तथा महंगाई, तानाशाही, अत्याचार और अन्याय की आग में बिहार झुलसता रहेगा। इसलिए मैंने तय किया है कि भले ही बाधा कितनी हो, भले ही दर्द कितना हो, रुकना नहीं है, झुकना नहीं है और थकना नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति तक चलते जाना है, बढ़ते जाना है, जीतते जाना है जीताते जाना है। लक्ष्य प्राप्त किए बिना रुकना मेरे खून में नहीं है।

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