पटना। आंदोलन की भूमि बिहार इतिहास के पन्नों पर नया अध्याय लिखने में हमेशा आगे रहा है। लोकसभा चुनाव के शंखनाद के साथ ही बिहार में भी सबसे बड़े राजनीतिक लड़ाई के लिए जमीं सजी हुई है। बिहार में चुनाव की शुरुआत तो पहले ही हो गयी थी जब 4 लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल को मतदान हुए थे। बिहार की चुनावी राजनीति खासकर लोकसभा के बारे में चर्चा इसलिए भी है क्योंकि इस प्रदेश की 40 सीटों के लिए सातों चरणों में चुनाव होना है। लोकसभा चुनाव के वैसे तो पांच चरण समाप्त हो गए हैं और प्रदेश की 24 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। लेकिन बिहार की राजनीति में चढ़ता चुनावी पारा और बढ़ता ही जा रहा है।
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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा नीतीश कुमार को लेकर दिए गए बयान ने सियासी घमासन मचा दिया है। तेजस्वी ने कहा कि 23 के बाद नीतीश कुमार और नीतीश कुमार की पार्टी नहीं रहेगी, डायनासोर की तरह ये लोग गायब होने वाले हैं। तेजस्वी ने भाजपा नेता राम माधव के बीते दिनों 271 सीटें जीतने वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि आज देखिये राम माधव भी कह रहे हैं कि बिना सहयोग की सरकार ही नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब भाजपा के लोग कहते हैं महामिलावटी गठबंधन है, तो क्या भाजपा के लोग चुनाव के बाद किसी का सहयोग नहीं लेंगे, आप देखिएगा इनकी कथनी और करनी बहुत अंतर है।
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तेजस्वी यहीं नहीं रुके उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि 23 तारीख को भूचाल आएगा, देखिएगा कोई ठीक नहीं है। नीतीश कुमार इस्तीफा दे देंगे और भाजपा-जदयू में लड़ाई होना तय है। गौरतलब है कि मंगलवार को भाजपा नेता राम माधव का एक बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद ऐसी परिस्थितियां बन सकती हैं जहां भाजपा को सहयोगियों की जरूरत पड़े। इसी के बाद से विपक्ष कह रहा है कि भाजपा खुद ही हार मान चुकी है। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश चाचा की तथाकथित नैतिकता और अंतरात्मा जाग राजभवन भाग सकती है।