By अभिनय आकाश | May 28, 2024
एक मुल्क जो 1948 में बना। एक देश है जिसके लिए अंग्रेजी की पदबंद प्रॉमिस्ड लैंड का प्रयोग किया गया। यहूदियों का देश इजरायल। जिसका जिक्र करते हुए हम हिंदुस्तानियों की दिलचस्पी बढ़ जाती है। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद, इजरायल का भारत के साथ सैन्य सहयोग, इजरायल का अरब के साथ विवाद, इजरायल का फिलिस्तीन के साथ संबंध। इजरायल की कहानी को आप 200 साल पीछे जाकर समझ सकते हैं। इजरायल आज के टाइम में यहूदियों का देश है जिसे ज्यूश कहते हैं। 1948 में जब ये बना तो इसके पैदा होने के पीछे 70 सालों का यहूदियों का संघर्ष रहा है, जिन्होंने यूरोप में और नाजी जर्मनी में हिटलर के शासन के अंदर संघर्ष किया। ब्रिटिश कॉलोनियल रूल के अंदर स्ट्रगल किया। अपना राष्ट्र बनाने के लिए इजरायल को ब्रिटिश के साथ स्ट्रगल करना पड़ा। इसके साथ ही उनका स्ट्रगल मुस्लिमों के साथ भी था।
इजरायल के गठन से पहले फिलिस्तीन में अलग राष्ट्र का समर्थन करने वाले यहूदी समुदाय को यीशुव कहा जाता था। इन यहूदियों का विरोध ही अरब लीग के जन्म का कारण बना। दो दिसंबर 1945 को छह देशों ने मिलकर अरब लीग की स्थापना की थी। आज 22145 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इजरायल के खिलाफ 22 देशों का ये गुट कई दशकों से मोर्चा खोले हुए हैं। इसी दिशा में अरब लीग ने बायकॉट इजरायल स्ट्रैटजी शुरू की। इसका मकसद अरब मुल्कों और इजरायल के बीच आर्थिक और अन्य संबंधों को पनपने नहीं देना था। इजरायल के साथ सभी तरह के व्यापारिक संबंधों पर रोक लगाई गई। अरब लीग में 22 देश हैं, जिनमें अल्जीरिया, बहरीन, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मॉरिशियाना, मोरक्को, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात, यमन, जिबूती, कोमोरस और सीरिया है. सीरिया को फिलहाल अरब लीग से सस्पेंड कर दिया गया है।
मुस्लिमों का कहना था कि मीडिल ईस्ट एशिया के जिस भाग में इजरायल अपना देश बनाना चाहते हैं वो भाग आठवीं सदी में मुसलमानों के कंट्रोल में रहा है। मुसलमानों ने ये भी कहा कि अगर पूरी दुनिया को सेकेंड वर्ल्ड वॉर में होलेकॉस्ट के बाद ये पछतावा हो रहा है कि हमने यहूदियों को प्रताड़ना से नहीं बचाया। उससे पार पाने के लिए ब्रिटेन और अमेरिका इजरायल और यहूदियों को एक देश देना चाहता है। लेकिन मुसलमानों ने यहूदियों की कोई प्रताड़ना नहीं की है। क्रिश्चिन अगर होलोकॉस्ट का बदला देना चाहते हैं तो जमीन कहीं और दे दी जाए। हमारी जमीन हमसे न छीनी जाए। 1918 से 1948 तक लेबनान के साउथ के बॉर्डर से गल्फ ऑफ अकाबा तक ब्रिटिश शासन था। ये पहले ऑटोमन साम्राज्य के कंट्रोल में था। यहां पर रहने वाले ज्यादातर अरबी थे। छोटी संख्या में जरुशेलम में यहूदी रहते थे।