India's federal structure Part 6 | क्या है विशेष राज्य का दर्जा, इससे राज्य को क्या लाभ होते हैं? | Teh Tak

FacebookTwitterWhatsapp

By अभिनय आकाश | Aug 28, 2024

India's federal structure Part 6 | क्या है विशेष राज्य का दर्जा, इससे राज्य को क्या लाभ होते हैं? | Teh Tak

पिछले महीने की ही बात है केंद्र सरकार की तरफ से नीतीश कुमार की मांग को खारिज कर दिया गया। पिछले कई सालों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही थी। राजद से लेकर जदयू और लोजपा तक ने इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। राजनीतिक हलकों में एनडीए के एक और घटक दल तेलगू देशम पार्टी की तरफ से भी विशेष दर्जे वाले राज्य की संभावित मांगों को लेकर चर्चा गर्म रही। ऐसे में एससीएस क्या है? किसी राज्य को ये दर्जा कैसे दिया जाता है। इससे उस राज्य और वहां की जनता को क्या लाभ होता है आइए जानते हैं। 

इसे भी पढ़ें: India's federal structure Part 4 | क्या है नीति आयोग , क्या होता है इसका काम | Teh Tak

विशेष श्रेणी का दर्जा (SCS) क्या है? 

यह भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक नुकसान का सामना करने वाले राज्यों को सहायता देने के लिये केंद्र सरकार द्वारा किया गया एक वर्गीकरण है। भारतीय संविधान इसके लिये प्रावधान नहीं करता है। यह वर्गीकरण 1969 में 5वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर किया गया था। 1969 में पहली बार जम्मू-कश्मीर, असम और नागालैंड को यह दर्जा दिया गया था। असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित 11 राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया गया है। 

14वें वित्त आयोग की सिफारिशें 

14वें वित्त आयोग ने पूर्वोत्तर और 3 पहाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा समाप्त कर दिया है 

इसने ऐसे राज्यों के संसाधन अंतर को कर हस्तांतरण के माध्यम से 32% से बढ़ाकर 42% करने का सुझाव दिया। 'SCS' विशेष स्थिति (Special Status) से अलग है। विशेष स्थिति अधिक विधायी और राजनीतिक अधिकार प्रदान करती है, जबकि SCS केवल आर्थिक और वित्तीय पहलुओं से संबंधित है। 

उदाहरण के लिये अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। 

SCS के लिये पैरामीटर्स (गाडगिल फॉर्मूला के आधार पर): 

* पहाड़ी इलाका; 

* कम जनसंख्या घनत्व या जनजातीय जनसंख्या का बड़ा हिस्सा; 

* पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर सामरिक स्थिति; 

* आर्थिक और आधारभूत संरचना पिछड़ापन; और 

* राज्य के वित्त की अव्यवहार्य प्रकृति 

इस स्थिति के लाभ क्या हैं 

अन्य राज्यों के मामले में केंद्र-प्रायोजित योजना में 60% या 75% की तुलना में केंद्र विशेष श्रेणी का दर्जा देने वाले राज्यों को आवश्यक धनराशि का 90% भुगतान करता है। जबकि शेष धनराशि राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाती है। एक वित्तीय वर्ष में बचा हुआ धन व्यपगत (Lapse) नहीं होता है और इसे आगे बढ़ाया जाता है। इन राज्यों को उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट कर में रियायतें प्रदान की जाती हैं। केंद्र के सकल बजट का 30% विशेष श्रेणी के राज्यों को जाता है। 

इसे भी पढ़ें: India's federal structure Part 5 | केंद्र का नया मैकेनिज्म, राज्यों को मुआवजे की चिंता | Teh Tak

इन राज्यों को मिला 1969 में विशेष दर्जा 

इस श्रेणी में इस प्रावधान से पहले जम्मू और कश्मीर को विशिष्ट दर्जा मिला। हालांकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद अब वो एक केंद्र शासित प्रदेश है। इसके बाद पूर्वोत्तर के असम और नगालैंड ऐसे पहले राज्य थे जिन्हें 1969 में विशेष दर्जा दिया गया था। बाद में हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित ग्यारह राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया गया।

 

इसे भी पढ़ें: India's federal structure Part 1 | फेडरलिज्म क्या है | Teh Tak


प्रमुख खबरें

मैंने कुणाल को नहीं मारा..., सीलमपुर हत्याकांड में गिरफ्तारी के बाद लेडी डॉन ज़िकरा का पहला बयान

IPL 2025: वानखेड़े में रोहित शर्मा और एमएस धोनी के बॉन्ड की हो रही तारीफ, देखें वीडियो

Bihar: प्रशांत किशोर ने दी राज्यव्यापी आंदोलन की धमकी, नीतीश सरकार से की ये तीन बड़ी मांग

‘ममता बनर्जी को हिंदुओं से नफरत’, मुर्शिदाबाद न जाने के लिए बंगाल की सीएम पर भाजपा ने बोला हमला