By अभिनय आकाश | Aug 28, 2024
नीति आयोग की स्थापना 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर एक नई संस्था के रूप में की गई थी। इसमें सहकारी संघवाद की भावना से प्रतिध्वनित करते हुए अधिकतम शासन और न्यूनतम सरकार की परिकल्पना को साकार करने के लिए नीचे से ऊपर के दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है। ये एक सलाहकार थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है तथा व्यापक विशेषज्ञता वाले लोगों को इसका सदस्य बनाता है। इसके पास नीतियां लागू करने का अधिकार नहीं है। नीति आयोग के पास धन आवंटित करने का भी अधिकार नहीं है। हाल ही में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) का पुनर्ठन किया है। जिसमें चार पूर्णकालिक सदस्य और 15 केंद्रीय मंत्री पदेन सदस्य या विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष बने रहेंगे। तथा अर्थशास्त्री सुमन के बेरी नीति आयोग के उपाध्यक्ष बने रहेंगे। वैज्ञानिक वीके सारस्वत, कृषि अर्थशास्त्री रमे चंद, बाल रोग विशेषज्ञ वीके पॉल और मैक्रो अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी भी सरकारी थिंक टैंक के पूर्णकालिक सदस्य बने रहेंगे।
नीती आयोग के 5 मुख्य उद्देश्य
राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचित समर्थन पहलों और तंत्रों के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, ये स्वीकार करते हुए कि मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र बनाते हैं।
ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजनाएं तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करना तथा इन्हें सरकार के उच्चतर स्तरों पर उत्तरोतर एकीकृत करना।
समजा के उस वर्गों पर विशेष ध्यान देना जो आर्थिक प्रगति से पार्यप्त लाभ न मिलने के जोखिम में हैं।
प्रमुख हितधारकों एवंम राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय समानवितचारधारा वाले थिंक टैंकों के साथ साथ शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करना और सलाह प्रदान करना।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, अन्य भागीदारों के सहयोगी समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवाचार और उद्यमशीलता सहायता प्रणाली का निर्माण करना।
नीति आयोग की बैठक
प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं और उनकी अध्यक्षता में हर साल इसकी गवर्निंग काउंसिल की बैठक होती है। केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी एक आदेश के अनुसार ही काउंसिल की स्थपना की गई है। इसमें सभी राज्यों के सीएम, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और प्रशासक सदस्य हैं। अब तक गवर्निंग काउंसिल की आठ बैठकें हो चुकी हैं। इस बैठक में कोऑपरेटिव फेडरलिज्म, विभिन्न सेक्टरों, विभागों से जुड़े विषयों और संघीय मुद्दों पर चर्चा होती है।