By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 22, 2017
टाटा पावर ने 4,000 मेगावाट क्षमता की मूंदड़ा बिजली परियोजना में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी गुजरात जैसे राज्यों को एक रुपये में बेचने की पेशकश की है। कंपनी ने इस कारोबार के समक्ष वित्तीय संकट से पार पाने के लिये यह पेशकश की है। यह पेशकश उन राज्यों को की गयी है जो कंपनी से बिजली खरीदते हैं। टाटा पावर की इकाई और मूंदड़ा परियोजना का परिचालन करने वाली कोस्टल गुजरात पावर लि. (सीजीपीएल) ने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लि. को इस महीने की शुरूआत में पत्र लिखकर केवल 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने और परियोजना को बतौर ठेकेदार चलाने की पेशकश की।
यह पेशकश इस शर्त पर की गयी कि खरीदार सभी बिजली उच्च शुल्क पर खरीदे। पत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्र और केंद्रीय बिजली सचिव को भी भेजी गयी है। सीजीपीएल के सीईओ कृष्ण कुमार शर्मा ने पत्र में कहा कि मूंदड़ा का नुकसान बढ़कर 6,457 करोड़ रुपये पहुंच गया है जबकि उसकी चुकता शेयर पूंजी 6,083 करोड़ रुपये थी। उन्होंने लिखा है कि उस पर बकाया कर्ज 10,159 करोड़ रुपये है और परियोजना के व्यवहारिक नहीं होने से बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने आगे कर्ज के वितरण करने से मना कर दिया है।
टाटा ने फरवरी 2006 में बोली के जरिये गुजरात में 4,000 मेगावाट क्षमता की मूंदड़ा परियोजना हासिल की। इसके लिये कीमत 2.26 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगायी गयी। इस इकाई को टाटा समूह की इंडोनेशिया में कोयला खान से आयातित कोयले के जरिये चलाया जाना था। इंडोनेशिया सरकार ने 2010 में कहा कि कोयले का निर्यात केवल अंतरराष्ट्रीय दरों के आधार पर ही हो सकता है। इसको देखते हुए टाटा ने बिजली के लिये अधिक शुल्क की मांग की लेकिन उच्चतम न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। सूत्रों के अनुसार सीजीपीएल पत्र में कहा है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है और ऐसी स्थिति में पहुंच गयी है जहां उसे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कंपनी चाहती है कि शुल्क पर फिर से बातचीत हो या बिजली खरीदार सीजीपीएल में 51 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नाममात्र एक रुपये में ले लें और ईंधन लागत के हिसाब से बिजली खरीद कर परियोजना को राहत दें। इस बारे में संपर्क किये जाने पर टाटा पावर के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी इस पर जल्दी ही बयान देगी।