बेंगलुरु। कर्नाटक ने आज कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के मुताबिक तमिलनाडु को कावेरी नदी का जल देने का कोई सवाल नहीं उठता, क्योंकि राज्य खुद पेयजल की कमी की समस्या से जूझ रहा है। कर्नाटक सरकार में जल संसाधन मंत्री एमबी पाटिल ने बताया, ‘‘पेयजल के लिये पानी नहीं है। अगर हमारे पास पानी होता तभी हम उन्हें जल दे सकते थे। बेंगलुर, मैसूरू और आस पास के गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिये ही 3-4 टीएमसी फुट जल की कमी हो रही है। इसलिए जल देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।’’
वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या राज्य शीर्ष अदालत के निर्देश की पृष्ठभूमि में तमिलनाडु को जल देगा। पाटिल ने कहा कि कर्नाटक सरकार शीर्ष अदालत के समक्ष इस बात का उल्लेख कर चुकी है और राज्य की कानूनी टीम इस मुद्दे पर काम कर रही है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने 21 मार्च को कहा था कि कर्नाटक द्वारा कावेरी का 2000 क्यूसेक जल देने संबंधी सभी अंतरिम आदेश अगले आदेशों तक प्रभावी रहेंगे। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि 15 लगातार कार्य दिवस के लिये जल साझा करने पर कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के वर्ष 2007 के निर्देश के खिलाफ तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की याचिकाओं पर न्यायालय 11 जुलाई को अंतिम सुनवाई करेगा।