By अभिनय आकाश | Mar 09, 2024
दुनिया के कुछ देश भौगोलिक तौर पर विस्तारवाद की नीति अपनाते हैं। इसके लिए छल का सहारा लेते हैं। लेकिन भारत मानवीय आधार पर लकीर खीचता है और मित्रता के आधार पर अपनी सीमाओं का विस्तार करता है। रणनीतिक तौर पर अहम चाबाहार पोर्ट को लेकर अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को जोर का झटका दिया है। पाकिस्तान के धार्मिक कार्ड को खारिज करते हुए तालिबान सरकार ने भारत के साथ जाने का विकल्प चुका है। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर हिंदुस्तान ने कैसे अफगानिस्तान का दिल जीता। कैसे चीन और पाकिस्तान देखते रह गए। बाजी भारत के हाथ लग गई।
अफगानिस्तान ने अपने पड़ोसी पाकिस्तान की हसरतों पर पानी फेरते हुए भारत की सुनी और चाबहार पोर्ट पर निवेश के जरिए भी भारत और ईरान के साथ जुड़ गया। जाहिर है चाबहार से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ने लगी है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने काबुल में अफगान अधिकारियों के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की। चर्चा अफगान लोगों को भारत की मानवीय सहायता के साथ-साथ अफगान व्यापारियों द्वारा चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर केंद्रित रही। विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान प्रभाग के प्रमुख संयुक्त सचिव जेपी सिंह ने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ बातचीत की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अफगान सरकार के वरिष्ठ सदस्यों, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) के अधिकारियों और अफगान व्यापार समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के लोगों को भारत की मानवीय सहायता पर चर्चा की और अफगान व्यापारियों द्वारा चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर भी चर्चा की।
अफगानिस्तान सरकार के एक बयान में कहा गया है कि सिंह और मुत्तकी ने सुरक्षा, व्यापार और नशीले पदार्थों का मुकाबला करने के तरीकों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। मानवीय सहायता के लिए भारत का आभार व्यक्त करते हुए मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है। भारत इस बात पर भी जोर दे रहा है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि भारत ने पिछले दिनों अफगानिस्तान के हालात पर मानवीय आधार पर मदद के हाथ बढ़ाए थे। आंकड़ों से ये बात साबित भी होती है। 15 दिसंबर 2023 को सरकार ने संसद में बताया कि तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद भी भारत ने स्वतंत्र एजेंसियों के जरिए बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान को मदद भेजी। इसके तहत 50 हजार मैट्रिक टन गेहूं भेजा गया। उसके बाद 250 टन मेडिकल सहायता भी अफगानिस्तान को भेजी गई। जबकि भूकंप आया तो 28 टन राहत सामग्री भेजी गई।