Swami Vivekananda Birth Anniversary: महज 25 साल की उम्र में वैराग्य की ओर आकर्षित हुए थे स्वामी विवेकानंद, जानिए रोचक बातें

By अनन्या मिश्रा | Jan 12, 2024

अपने जीवन का हर क्षण देश के लिए समर्पित करने वाले स्वामी विवेकानंद का आज ही के दिन यानी की 12 जनवरी को जन्म हुआ था। स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के मौके पर यानी की 12 जनवरी को हर साल 'राष्ट्रीय युवा दिवस' मनाया जाता है। साल 1984 में भारत सरकार ने ऑफिशियल तौर पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। 1985 से लेकर वर्तमान तक स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं और दर्शन से युवाओं को प्रेरित किया जाता है। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म 

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 12 जनवरी 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। वह आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक होने के साथ ही रामकृष्ण मिशन के संस्थापक भी थे। आपको बता दें कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया, जब पिता की मृत्यु के बाद विवेकानंद के परिवार को आर्थिक संकट से जूझना पड़ा था। तब उन्होंने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से कहा था कि वह ईश्वर से प्रार्थना करें, जिससे कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आए।

इसे भी पढ़ें: Swami Vivekananda Birth Anniversary: सनातन का पर्याय हैं स्वामी विवेकानंद

आध्यात्म के प्रति गहरा लगाव

आपको बता दें कि विवेकानंद धर्म और आध्यात्म के प्रति गहरा लगाव था। बता दें कि जब स्वामी विवेकानंद ईश्वर की खोज में थे, तब उनकी मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई थी। विवेकानंद गुरु रामकृष्ण परमहंस से इतना अधिक प्रभावित हुए कि वह तपस्वी जीवन की ओर आकर्षित हो गए। बेहद कम उम्र में स्वामी विवेकानंद को जीवन से संबंधित गूढ़ रहस्यों का पता चल गया था। वहीं महज 25 साल की आयु में ही वह वैराग्य की तरफ आकर्षित हो गए और उन्होंने धर्म व सन्यासी के मार्ग पर चलने का फैसला किया। 


रामकृष्ण परमहंस के कहने पर स्वामी विवेकानंद मंदिर गए और ईश्वर के सामने उनसे विवेक और वैराग्य के लिए प्रार्थना की। तभी से उनकी धर्म और आध्यात्म की ओर रुचि बढ़ी और वह संन्यास व संतता विवेकानंद के लिए संसार की चिंताओं से मुक्ति का मार्ग बन गया।


आपको बता दें कि विवेकानन्द का ज्ञान आत्म-विश्वास, आध्यात्मिकता सभी मनुष्यों की एकता पर केंद्रित था। वह समाज में सुधार के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। इसलिए चरित्र निर्माण के लिए वह मुल्य आधारित शिक्षा के महत्व पर जोर देते थे। स्वामी विवेकानंद ने अपने लेखों और भाषणों के जरिए लाखों लोगों को प्रेरित करने का काम किया। स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं ने सार्वभौमिक अवधारणाओं पर जोर दिया। जिसका असर दुनियाभर के लोगों में देखने को मिला। जब साल 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता पर भाषण दिया। तो वह पूरी दुनिया में व्यापक रूप से फेमस हुए।


मृत्यु

काफी कम उम्र में स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गई थी। बता दें कि 4 जुलाई 1902 को 39 साल की आयु में तीसरी बार दिल का दौरान पड़ने से स्वामी विवेकानंद की मृत्यु हो गई। लेकिन युगों-युगों तक उनकी कीर्ति जीवंत रहेगी।

प्रमुख खबरें

Haryana Elections: BJP MP नवीन जिंदल इस अंदाज में पहुंचे मतदान केंद्र, 11 बजे तक हुआ 22.70 प्रतिशत मतदान

नफरती भाई जान को मिला गीता का ज्ञान, पाकिस्तान में कट्टरपंथी जाकिर नाइक का हुआ जब सनातनी से सामना

Prabhasakshi NewsRoom: Haryana में अगर BJP सत्ता में लौटी तो टूट सकते हैं दो पुराने रिकॉर्ड

Shehnaaz Gill ने Sidharth Shukla के लिए कबूल की अपनी फीलिंग, एक्ट्रेस मे कहा मैं उसके लिए बहुत ज्यादा पजेसिव थी, अगर कोई इतना....