ज्ञानवापी में पूजा करने पर अड़े स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, बोले- क्या हमारे भगवान भूखे और प्यासे रहेंगे?

By अंकित सिंह | Jun 04, 2022

वाराणसी में ज्ञानवापी को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल में ही वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर पर और वीडियोग्राफी का काम करवाया गया था। सर्वे और वीडियोग्राफी के बाद हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिला है। तो वही मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह फव्वारा है। इन सब के बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अब वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा करने पर अड़ चुके हैं। 4 जून को उन्होंने पूजा करने का ऐलान किया था। हालांकि प्रशासन ने उन्हें पूजा की अनुमति नहीं दी है। अविमुक्तेश्वरानंद के ऐलान के बाद काशी में पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। 

 

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इन सबके बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमने प्रशासन से अनुरोध किया कि हमें ज्ञानवापी में शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति दी जाए। हमने आयुक्त को उनके फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए लिखा है। जब तक हमें पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाती तब तक हम खाना नहीं खाएंगे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि न्यायालय का जो निर्णय होगा उसे हम मानेंगे लेकिन न्यायालय का निर्णय आने तक क्या भगवान भूखे और प्यासे रहेंगे?...हमने  पुनर्विचार याचिका दायर की (प्रार्थना करने की अनुमति के लिए) लेकिन पुलिस से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने दावा किया कि मैंने अपने खुद के मोबाइल से आयुक्त को याचिका भेजी और अपने आदमी को पत्र के साथ उपायुक्त के ऑफिस भेजा। मेरे पास प्रमाण है। मैं यहां बैठूंगा, पूजा के बाद ही खाना खाऊंगा। 

 

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आपको बता दें कि काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर अगली सुनवाई चार जुलाई यानि कि आज होनी है। इससे पहले स्वामी अविमुक्तरेश्वरानंद ने कहा था कि धर्म के मामले में धर्माचार्य का फैसला अंतिम होता है। उन्होंने कहा था कि जैसे कानून की व्याख्या उच्चतम अदालत करती है वैसे ही किसी भी धर्म की व्याख्या धर्माचार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में सबसे बड़े आचार्य शंकराचार्य होते हैं, जिनमें सबसे वरिष्ठ स्वरूपानंद सरस्वती हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के अनुसार ज्ञानवापी परिसर में विश्वनाथ जी ही प्रकट हुए हैं। उनके आदेश पर हम पूजा का सब समान इकठ्ठा कर रहे हैं चार जून शनिवार के दिन हम हिन्दू समाज की ओर से उनका पूजन करेंगे।

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