By अभिनय आकाश | Sep 03, 2022
दिसंबर 2020 के अरुणाचल प्रदेश की घटना की पुनरावृत्ति मणिपुर में भी देखने को मिली है और इस बार भी फूट जेडीयू में ही हुई है। जद (यू) के छह विधायकों में से पांच ने पटना में बिहार की सत्ताधारी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ठीक एक दिन पहले सत्तारूढ़ भाजपा का दामन थाम लिया। ये जद (यू) और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका है, जो 2024 के आम चुनावों के लिए राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा लेकर विपक्ष को एकजुट करने के दावे करते दिख रहे हैं। मणिपुर की घटना को लेकर जेडीयू और बीजेपी के बीच वार-पलटवार भी जारी हो गया है। जेडीयू जहां इसे असंवैधानिक कदम बता रही है तो वहीं बीजेपी इसे सही ठहरा रही है।
मणिपुर की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि मणिपुर में जदयू के पांच विधायक भाजपा में शामिल हुए और राज्य जदयू मुक्त हो गया है। वे विधायक एनडीए में बने रहना चाहते थे। बहुत जल्द, हम बिहार में जदयू-राजद गठबंधन को तोड़ देंगे और राज्य को जदयू मुक्त कर देंगे। होर्डिंग और पोस्टर लगाकर कोई भी पीएम नहीं बन सकता। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन(ललन) सिंह ने बीजेपी पर धन बल का प्रयोग कर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया।
ललन सिंह ने कहा कि आप(भाजपा) तो धन-बल का प्रयोग कर रहे हैं। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में आपने क्या किया, ये देश देख रहा है। वो हमारी चिंता छोड़ दे और खुद की चिंता करे। 2024 में जुमलेबाज विदा होंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सुशील मोदी ने कहा कि ललन जी जो आरोप लगा रहे हैं कि पैसा देखर खरीदा गया है, तो आपके विधायक इतने कमजोर हैं क्या? ये सब गलत बात है। हम किसी को पैसा देकर क्यों खरीदेंगे। वो चाहते थे कि जनता दल(यूनाइटेड) एनडीए में रहे और आपने एनडीए से नाता तोड़ा इसलिए वे बीजेपी में शामिल हो गए।