बिहार की राजनीति में अहम मुद्दा बना सुशांत मामला, मौका भुनाने में जुटी पार्टियां

By अंकित सिंह | Aug 10, 2020

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में बिहार की राजनीति गर्म है। सुशांत की आत्महत्या के बाद से ही बिहार के विपक्षी दल जहां लगातार सत्तापक्ष पर हमलावर थे तो वहीं सत्तापक्ष भी न्याय दिलाने को लेकर सजग दिखा। अब हम यह जरूर कह सकते है कि सुशांत मामले ने बिहार में राजनीतिक रंग ले लिया है। सत्ता पक्ष पर विपक्ष हमलावर है तो सत्ता पक्ष महाराष्ट्र सरकार पर। कुल मिलाकर फिलहाल यह मामला सीबीआई के पास है लेकिन अभी भी सुशांत मामले को लेकर सच का इंतजार है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सुशांत मामले को लेकर बिहार की राजनीति क्यों गर्म है? 

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आपको बता दें कि बिहार में आने वाले दिनों में विधानसभा के चुनाव होने है। सुशांत सिंह राजपूत जिस जाति से आते हैं उसकी आबादी राज्य में लगभग 8 फ़ीसदी से ज्यादा है। यह जाति साधन संपन्न मानी जाती है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यह जाति चुनाव के समय जिधर शिफ्ट होती है नतीजे उधर ही प्रभावी देखने को मिलते हैं। यही कारण है कि सत्ता हो या फिर विपक्ष सभी सुशांत हत्या मामले को भुनाने में लगे हुए है। हालांकि यह भी सच है कि इस जाति का वोट का बड़ा हिस्सा एनडीए को जाता है खास करके बीजेपी को। 

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पर यह बात भी सच है कि पिछले कुछ समय से यह जाति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहा है। यही कारण है कि भाजपा के साथ साथ जदयू भी बिहार में सुशांत के परिवार के साथ खड़े होकर नाराजगी को खत्म करना चाहती है। वहीं विपक्ष इस मौके को हाथ से गवाना नहीं चाहती। मृत्यु से पहले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पहचान एक लोकप्रिय कलाकार के तौर पर हो चुकी थी। वह बिहार से ताल्लुक रखते थे। हाल के ही दिनों में उनके कई वीडियो वायरल हो रहे थे जिसमें वह बिहार के अलग-अलग हिस्सों में दिखाई दे रहे थे। ऐसे में सुशांत मामला बिहार में भावनात्मक मुद्दा बन गया है। बिहार के लोगों को लगता है कि सुशांत आत्महत्या मामले में सच सामने आनी चाहिए। बिहार और महाराष्ट्र के बीच में जिस तरीके की टकराव देखने को मिली उससे यहां के लोगों के शक और भी बढ़ रहे है। यही कारण है कि स्थानीय प्रशासन और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशांत मामले को लेकर काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं।

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कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी मानते है कि लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में प्रवासियों के बिहार लौटने को लेकर नीतीश को नाराजगी झेलनी पड़ी। ऐसे में सुशांत मामले में नीतीश की सक्रियता लोगों की नाराजगी को दूर करने में मदद कर सकती है। नीतीश भी डैमेज कंट्रोल करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। खुद नीतीश की पार्टी जनता दल यू भी मानती है कि अब सुशांत सिंह राजपूत का मुद्दा बिहार के लोगों के लिए भावनात्मक बन गया है। वहीं आरजेडी के तेजस्वी यादव हो या फिर पप्पू यादव, जीतन राम मांझी हो या उपेंद्र कुशवाहा, एनडीए की सहयोगी लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान हो या फिर रामविलास पासवान, सभी सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई जांच की मांग को उठा चुके है। यह सभी निष्पक्ष जांच चाहते है।

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हालांकि सुशांत मामले को लेकर कांग्रेस में कुछ कंफ्यूजन जरूर उभर कर सामने आ रही है। बिहार कांग्रेस सुशांत सिंह राजपूत मामले में निष्पक्ष जांच चाहते हैं और वह भी सीबीआई से। वही महाराष्ट्र कांग्रेस और राष्ट्रीय इकाई फिलहाल इस मुद्दे पर बिहार कांग्रेस से अलग रुख रख रही है। खैर, बिहार ही नहीं बल्कि देश के लोगों को सुशांत सिंह राजपूत मामले की सच्चाई का इंतजार है। लोगों का मानना है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले में कई गुथ्थियां है जिसको सुलझाने की जरूरत है। अब देखना होगा कि आखिर सीबीआई जांच या फिर महाराष्ट्र सरकार की जांच से क्या निकल कर सामने आ पाता है।


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