By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 04, 2024
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश सरकार और इसके अधिकारियों की मनमानी एवं अड़ियल रवैये को लेकर उन्हें फटकार लगाई तथा निर्देश दिया कि एक महिला को ‘‘संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3’’ या समकक्ष पद पर 60 दिन के अंदर नियुक्त किया जाए।
शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि महिला ने अगस्त 2008 में ‘‘संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3’’ में चयन के लिए परीक्षा उत्तीर्ण की थी लेकिन उसे कोई नियुक्ति पत्र नहीं जारी किया गया। न्यायालय ने मप्र सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि 60 दिनों के अंदर यह रकम महिला को अदा की जाए।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जिसमें राज्य सरकार और उसके अधिकारियों के अड़ियल, मनमाने, दुर्भावनापूर्ण रवैये के कारण अपीलकर्ता को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘31 अगस्त 2008 को संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3 पद के लिए आयोजित चयन परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद, अपीलकर्ता (स्मिता श्रीवास्तव) को उसकी सफलता का फल नहीं मिला।’’ न्यायालय ने श्रीवास्तव की अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा मई और अगस्त 2022 में जारी किये गए आदेशों को चुनौती दी थी।