उच्चतम न्यायालय में केंद्र ने न्यायाधिकरण सुधार पर कानून का बचाव किया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 19, 2021

नयी दिल्ली|  केंद्र ने न्यायाधिकरणों में पीठासीन और अन्य सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल जैसे मुद्दों का नियमन करने वाले न्यायाधिकरण सुधार कानून की वैधता का उच्चतम न्यायालय में बचाव किया है।

केंद्र ने कहा कि ‘‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’’ कोई आधार नहीं है जिसका उपयोग कानूनों की जांच के लिए किया जा सकता है। न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम, 2021 के लिए केंद्र का बचाव इस तथ्य के मद्देनजर महत्व रखता है कि प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने संसद में चर्चा के बिना न्यायाधिकरण संबंधी विधेयक के पारित होने को ‘‘गंभीर मुद्दा’’ करार दिया था।

इसे भी पढ़ें: न्यायालय ने कुछ मामलों में ऑनलाइन याचिका दायर करने को अनिवार्य बनाने को कहा

मद्रास बार एसोसिएशन, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और अन्य द्वारा अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में केंद्र ने यह हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में कहा गया है कि भले ही बुनियादी ढांचे के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ हो, लेकिन यह किसी कानून की वैधता पर हमला करने का आधार नहीं है।

केंद्र ने कहा, ‘‘संविधान में बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल केवल संवैधानिक संशोधन की वैधता का परीक्षण करने के लिए किया जा सकता है, लेकिन जब किसी कानून की वैधता की बात आती है तो उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं होती है।’’

केंद्र ने यह भी दलील दी कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता कोई ऐसा आधार नहीं है जिसका उपयोग कानूनों के परीक्षण के लिए किया जा सकता है।

इसे भी पढ़ें: प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश केंद्रशासित प्रदेशों के लिए नहीं हैं : अदालत

 

प्रमुख खबरें

IND vs AUS: यशस्वी जायसवाल ने किया कमाल, 15वें टेस्ट में ही कर ली गौतम गंभीर की बराबरी

महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन चौंकाने वाला, अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन: Chavan

Uttarakhand में टैक्स फ्री हुई The Sabarmati Report, विक्रांत मेस्सी के साथ फिल्म के देखने के बाद CM Dhami ने की घोषणा

पूर्व प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने राजनीतिक दलबदलुओं के मन से कानून का डर समाप्त किया : राउत