By एकता | Mar 23, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की आंतरिक जांच रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के घर के स्टोररूम में कथित तौर पर मिली नकदी की तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं।
25 पन्नों की रिपोर्ट में, जस्टिस वर्मा का घर के स्टोररूम में आग बुझाने के दौरान मिली नकदी पर जवाब भी शामिल है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि स्टोररूम में मेरे या मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी कोई नकदी नहीं रखी और (मैं) इस आरोप की कड़ी निंदा करता हूं कि कथित नकदी हमारी है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके घर से नकदी मिलने के आरोप साफ तौर पर उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश लग रहे हैं। उन्होंने कहा, 'यह विचार या सुझाव कि यह नकदी हमारे द्वारा रखी या संग्रहीत की गई थी, पूरी तरह बेतुका है।'
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय द्वारा पेश की गई जांच रिपोर्ट में आधिकारिक संचार से जुड़ी सामग्री भी शामिल है। इसमें कहा गया है कि भारतीय मुद्रा के चार से पांच अधजले ढेर मिले हैं। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने शनिवार रात सार्वजनिक की गई अपनी रिपोर्ट में कहा, 'घटना रिपोर्ट, उपलब्ध सामग्री और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे पता चला कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च, 2025 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड के अनुसार, 15 मार्च, 2025 की सुबह जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और अन्य आंशिक रूप से जली हुई वस्तुएं हटा दी गई थीं।'
उन्होंने आगे कहा, 'मेरे द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों (यदि कोई हो) के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने कमरे में प्रवेश किया था या वहां तक पहुंचा था।' उन्होंने कहा, 'तदनुसार, मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।'
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति में न्यायमूर्ति शील नागू (पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) और अनु शिवरामन (कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति वर्मा को अपने फोन पर सभी डेटा और संदेशों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है और पिछले छह महीनों के सुरक्षा रिकॉर्ड मांगे हैं। जांच के नतीजे आने तक न्यायमूर्ति वर्मा को न्यायिक कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया है। शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, 'फिलहाल, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है।'