By नीरज कुमार दुबे | Jan 02, 2023
उच्चतम न्यायालय ने साल 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने संबंधी सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है कि सरकार का फैसला एकदम सही था। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि नोटबंदी के दौरान सभी प्रक्रियाओं का पूरी तरह पालन किया गया। सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी संतुष्ट नजर आया कि नोटबंदी को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच छह महीने तक बातचीत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था और इस तरह के फैसले को लाने के लिए एक उचित प्रक्रिया का पालन किया गया।
देखा जाये तो सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को नोटबंदी मामले में पूरी तरह क्लीन चिट देते हुए बड़ी राहत प्रदान की है। अभी तक विपक्ष की ओर से नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार को घेरा जाता था और आरोप लगाया जाता था कि नोटबंदी कर मोदी सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस बात से सहमत हुआ कि आतंकवाद के वित्त पोषण पर रोक लगाने और काले धन पर कुठाराघात के लिए सरकार का नोटबंदी का फैसला सही था।
हम आपको बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदम्बरम तथा श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
एक हजार और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को ‘गंभीर रूप से दोषपूर्ण’ बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। वहीं, वर्ष 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सर्वोच्च न्यायालय के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब ‘बीते वक्त में लौट कर’ कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।
हम आपको बता दें कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करना मोदी सरकार के बड़े आर्थिक फैसलों में शुमार किये जाते हैं। जब नोटबंदी लागू की गयी थी तब स्वर्गीय अरुण जेटली वित्त मंत्री थे और आरबीआई गवर्नर के रूप में उर्जित पटेल काम संभाल रहे थे। नोटबंदी के बाद सभी बैंकों के बाहर लाइनें लग गयी थीं क्योंकि लोग पुराने नोट जमा कराने और 2000 तथा 500 रुपए के नये नोट निकालना चाहते थे। उस समय से भारत में डिजिटल पेमेंट को जो बढ़ावा मिला यह उसी का परिणाम है कि डिजिटल भुगतान के मामले में आज भारत कई विकसित देशों को भी पीछे छोड़ चुका है।