आईआईटी जाने वाले बच्चों का सपना पूरा कर रहा है सुपर-30, एक कमरे में Anand Kumar ने शुरु की थी कोचिंग, आज हो गए हैं 52 साल के

By Anoop Prajapati | Jan 01, 2025

गरीब बच्चों के लिए सुपर-30 नाम की फ्री कोचिंग चला रहे आनंद कुमार एक ऐसा नाम हैं जो किसी पहचान की मोहताज नहीं। उनके काम करने के तरीके को लाखों लोग पसंद करते हैं। वहीं अब उनके नाम के साथ एक और उपलब्धि जुड़ी है। सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार को साल 2024 के लिए कोरिया सरकार ने कोरिया पर्यटन के मानद राजदूत के रूप में नियुक्त किया था। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आनंद को मजबूरन तीसरी श्रेणी की नौकरी का प्रस्ताव अपनाना पड़ा था। हालांकि, उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। इसे दूसरे छात्रों के जरिए पूरा किया।


पिता थे सरकारी क्लर्क

बिहार की राजधानी पटना में आनंद कुमार का जन्म 1 जनवरी 1973 को हुआ था। उनके पिता डाक विभाग में क्लर्क थे और वे एक निम्न मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखते थे। आनंद कुमार की शुरुआती पढ़ाई हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल से हुई थी। हाई स्कूल की पढ़ाई उन्होंने पटना हाई स्कूल से पूरी की। आनंद कुमार ने बिहार के प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज से शिक्षा हासिल की है। 


आनंद कुमार बचपन से ही गणित में काफी तेज थे। उनकी प्रतिभा के कारण उन्हें कैंब्रिज और शेफ़ील्ड विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका मिला। बहुत कम लोगों को इस तरह का मौका मिलता है। लेकिन पिता की मृत्यु और आर्थिक तंगी के कारण आनंद कुमार आगे नहीं बढ़ पाए। वे चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन पर काफी जिम्मेदारी थी। 


2 बच्चों के साथ की शुरुआत

अपने पिता की मृत्यु के बाद आनंद कुमार ने काफी संघर्ष किया। उनकी मां ने छोटी सी पापड़ की दुकान शुरू की, जिसके लिए आनंद शाम के समय भी डिलीवरी का काम भी किया करते थे। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आनंद को मजबूरन तीसरी श्रेणी की नौकरी का प्रस्ताव अपनाना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। इसे दूसरे छात्रों के जरिए पूरा किया। उन्होंने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के कैंडिडेट्स को साल 1992 में गणित पढ़ाना शुरू किया। शुरुआत में उनके पास सिर्फ 2 बच्चे आते थे। देखते-देखते ही संख्या बढ़ी और साल के अंत में करीब 36 विद्यार्थी जुट गए।


एक स्टूडेंट ने बदली आनंद की किस्मत 

एक छात्र ने साल 2000 में आनंद कुमार की किस्मत और सोचने का नजरिया बदल डाला। इस साल उनके पास एक छात्र आया जो आईआईटी जेईई परीक्षा की तैयारी करना चाहता था, लेकिन उसके पास दूसरे महंगे कोचिंग संस्थानों की फीस नहीं थी। तब आनंद कुमार ने गरीब परिवार से आने वाले ऐसे छात्र जो आईआईटी जेईई की तैयारी करना चाहते हैं, उन्हें सपोर्ट करने का सोचा। उन्होंने वर्ष 2002 में ‘सुपर 30’ की नींव रखी थी। ऐसा कहा जाता है कि सुपर 30 के 480 छात्रों में से 422 ने जेईई परीक्षा में सफलता हासिल की थी। 


कैसे पड़ा सुपर-30 का नाम

साल 1992 में उन्होंने अपने कोचिंग की स्थापना की और छात्रों को मैथ पढ़ाने लगे। यहां एक ही साल में छात्रों की संख्या 2 से बढ़कर 36 हो गए। बाद में कई गरीब छात्रों ने आनंद कुमार से निवेदन करने लगे कि वो IIT की तैयारी के लिए महंगी कोचिंग फीस नहीं दे सकते। इसके बाद साल 2002 में आनंद कुमार ने सुपर-30 की स्थापना की। कहा जाता है कि इस सुपर-30 के 480 छात्रों में से 422 छात्र आईआईटी एक्जाम परीक्षा पास कर चुके हैं। 


मिल चुके कई सारे सम्मान 

आनंद कुमार ने अपने काम के जरिए समाज में जो योगदान किया इसके लिए उन्हें वर्ष 2023 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा ‘टाइम’ पत्रिका ने सुपर-30 को 2010 में बेस्ट ऑफ एशिया का खिताब दिया। इसके अलावा छात्रों को मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए आनंद कुमार का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। इसके अलावा भी उन्हें कई प्रकार के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। आनंद कुमार पर बॉलीवुड में फिल्म भी बन चुकी है और उन्हें लोग भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जानते हैं।

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