By निधि अविनाश | Aug 25, 2020
ऐयरटेल यूजर्स को आने वाले समय में मोबाइल इंटरनेट के लिए अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है। भारती ऐयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने अपने बयान में ऐसे संकेत दिए हैं। उनके बयान के मुताबिक अगले 6 महीने में मोबाइल सेवा शुल्क बढ़ सकते है। उन्होनें कहा कि सस्ते कीमत पर इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराना टेलीकॉम सेक्टर के लिए लंबे समय तक व्यवहारिक नहीं है। उनके अनुसार, 160 रूपये में 16 जीबी डेटा का इस समय इस्तेमाल किया जा रहा है जोकि एक त्रासदी से कम नहीं। उन्होनें आगे कहा कि 160 रूपये में आप या तो 1.6 जीबी डेटा का इस्तेमाल किजिए या फिर इनके ज्यादा पैसे चुकाने के लिए तैयार हो जाए।
सुनिल मित्तल की सरकार को सलाह
भारती एंटरप्राइजेज के कार्यकारी अखिल गुप्ता की एक किताब के विमोचन समारोह में दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनी भारतीय एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारत मित्तल ने कहा कि सरकार को उद्योग जगत के साथ ज्यादा विवादों में नहीं उलझना चाहिये। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) संबंधी मुद्दे पर फैसला सरकारी याचिका के परिणाम स्वरूप ही आया है। इस फैसले की वजह से दूरसंचार उद्योग से काफी पैसा निकल गया।यह धन ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार नेटवर्क खड़ा करने और 5जी प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने में खर्च होता।
AGR मामले पर क्या बोले सुनील मित्तल
वोडाफोन आइडिया का नाम लिये बिना मित्तल ने मौजूदा परिस्थितियों में उसके बने रहने को लेकर शंका जाहिर की है।उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को उद्योगों के साथ ज्यादा विवाद नहीं करने चाहिये।मेरा मानना है कि जब किसी खास मामले में किसी एक स्तर पर वह हार जाते हैं तो जरूरी नहीं है कि उस मामले को उसके अंतिम बिंदु तक पहुंचाना ही है।ऐसा होने पर ये विवाद हमेशा के लिये चलते रहते हैं।’’एजीआर का मामला सरकार दूरसंचार क्षेत्र के न्यायाधिकरण टीडीसैट के सतर पर हार गई थी लेकिन सरकार ने टीडीसैट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी और वहां जीत गई। उच्चतम न्यायालय के फैसले से दूरसंचार कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ रुपये की देनदारी बन गई। मित्तल ने कहा, ‘‘मेरे मताबिक सरकार को कुछ विवादों से निपटते समय कुछ ज्यादा साहस दिखाना चाहिये।यदि आप 'विवाद से विश्वास’ योजना को देखेंगे तो यह उस दिशा में काफी अच्छा कदम है। इसी तरह की स्थिति दूरसंचार, बिजली, सड़क क्षेत्र में होनी चाहिये। हमारे समक्ष कई तरह के मुद्दे हैं। दूरसंचार ऐसा एक क्षेत्र बन गया है जहां कंपनियां एंटीना के साथ कानूनी फर्म ज्यादा बन गई हैं।’’ उनहोंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब भी उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिये समझौता किया गया था। तब अरुण शौरी दूरसंचार मंत्री थे।