वाशिंगटन। सीरिया में मिसाइल हमले करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले ने ईरान के साथ तनाव बढ़ने का जोखिम पैदा कर दिया है। सीरिया में चल रहे मौजूदा संघर्ष में ईरान सीरियाई राष्ट्रपति बशर असद का प्रबल समर्थक है। तेहरान ने शायरात एयरफील्ड पर किए गए मिसाइल हमले की निंदा की है और अधिकारियों ने परिणामों की आशंका जाहिर की है। यह तनाव वाशिंगटन के लिए एक चुनौती पेश करता है।
वाशिंगटन खुद संघर्ष में उतरे बिना ही लंबे समय से असद के शासन और उसके ईरानी सहयोगियों से लड़ रहे विपक्षी समूहों को समर्थन देता आया है। सीरिया में अमेरिका जितना अधिक संलिप्त होता है, उससे आक्रामक ईरान के साथ सीधे संघर्ष में आ जाने की आशंका उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। यदि ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई की जाती है तो इसके क्षेत्र में दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इन परिणामों की चपेट में अमेरिकी नौसैन्य पोतों से लेकर अमेरिका समर्थित अरब सरकारें भी आ सकती हैं। ईरान इराक एवं सीरिया में इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ लड़ रहे अमेरिकी बलों को निशाना बनाने के लिए हिज्बुल्ला और अन्य शिया मिलिशिया का भी इस्तेमाल कर सकता है या फिर क्षेत्र में कई अमेरिकी सहयोगियों पर भी हमला बोल सकता है। अमेरिका ने सीरिया में हुए रासायनिक हमले के दंड के तौर पर क्रूज मिसाइलों से हमले किए थे। रासायनिक हमले में 80 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अमेरिका के मिसाइल हमलों का नतीजा यह भी हो सकता है कि ईरान असद सरकार के साथ मिलकर लड़ रहे रेवोल्यूशनरी गार्ड बलों को और मजबूती देने लगे।