By एकता | Aug 01, 2022
सेक्स पति-पत्नी की जिंदगी का वो अहम हिस्सा है जो उन्हें शारीरिक रूप से जोड़कर उनके रिश्ते को मजबूती देता है। लेकिन पश्चिम अफ्रीका के घाना में लोगों ने सेक्स को एक प्रथा से जोड़कर रखा है। पति-पत्नी के रिश्ते को शर्मशार करने वाली इस प्रथा के बारे में जानकर आपको गुस्सा आ जाएगा। घाना की इस प्रथा के अनुसार पत्नी को अपने पति की मौत के बाद किसी गैर-मर्द के साथ संबंध बनाने पड़ते हैं। यहाँ के लोग मानते हैं कि ऐसा करने से पत्नी अपने मरे हुए पति की आत्मा से मुक्त हो जाती है। इतना ही नहीं विधवा महिलाओं को एक साल तक दर्दनाक और अपमानजनक जीवन जीना पड़ता है। चलिए आपको इस प्रथा के बारे में विस्तार से बताते हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् (United Nations Human Rights Council) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम अफ्रीका के घाना में विधवाओं को एक साल तक अपने पति की मौत का मातम मनाना पड़ता है। जबकि विधुर के लिए यह कुछ दिनों तक ही चलता है। पति की मौत के बाद विधवाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। इसके अलावा एम्पॉवरिंग विडो इन डेवलपमेंट (ईडब्ल्यूडी) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, घाना में पति की मौत के बाद विधवा को नंगा कर दिया जाता है और उसके प्राइवेट पार्ट को पत्तों से ढक दिया जाता है। इतना ही नहीं विधवा को इस अवस्था में हफ्तों तक एक झोपड़ी में रहना पड़ता और वहां उसे गन्ने के पत्तों से बनी चटाई पर बैठना और सोना पड़ता है।
इस दौरान विधवा खाना नहीं बना सकती है, उसे सिर्फ एक बर्तन में खाना और पानी दिया जाता है। झोपड़ी के दूसरे हिस्से में पति की लाश को रखा जाता है, जहाँ एक बूढ़ी औरत के साथ ही विधवा को जाने की अनुमति होती है। पति की लाश को दफ़नाने के बाद विधवा को उस झोपड़ी से नंग्न अवस्था में बाहर लाया जाता है। इसके बाद विधवा को शराब पिलाई जाती है और फिर उसका सिर मुंडवाया जाता है। इन सब के बाद यौन संबंध के जरिए अनुष्ठान पूरे किए जाते हैं। विधवा को बहनोई या फिर किसी अजनबी के साथ शारीरिक संबंध बनाने पड़ते हैं।
घाना की इस अपमानजक परंपरा का विरोध हो रहा है और सरकार इसे खत्म करने की दिशा में कोशिशें भी कर रही हैं। विधवाओं को इन क्रूर प्रथाओं से बचाने के लिए दंड संहिता में 1989 का संशोधन किया गया है। लेकिन ईडब्ल्यूडी के सहयोगी समूहों के माने तो इस कानून के तहत किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही अदालत में लाया गया। खबरों की मानें तो घाना इस प्रथा की वजह से विधवा हुई महिलाएं शारीरिक शोषण, बेघर, भुखमरी और अपमान के कारण होने वाली मानसिक पीड़ा के चलते आत्महत्या कर लेती हैं।