By अभिनय आकाश | Feb 01, 2021
"वो मुझे सोने नहीं देते थे। कई घंटों तक लटका कर रखा जाता था। मेरी चमड़ी में सूइंयां चुभाई जाती थी, नाखून नोचे जाते थे। इतने से ही मन नहीं भरा तो मेरे टेबल के सामने टाॅर्चर का सामान रख दिया जाता था। ताकि मैं खौफजदा रहूं।" ये किसी थ्रिलर फिल्म की कहानी का संवाद नहीं। बल्कि निर्दयता की सेज पर साधा गया वास्तविकता का एक फसाना मात्र है। मात्र शब्द का प्रयोग इसलिए की ये तो केवल एक प्रसंग है लेकिन उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे आत्याचार पर तो कई किताबें लिखी जा सकती हैं।
नहीं पूछता है कोई तुम व्रती, वीर या दानी हो? सभी पूछते मात्र यही, तुम किस कुल के अभिमानी हो?
मगर, मनुज क्या करे? जन्म लेना तो उसके हाथ नहीं, चुनना जाति और धर्म अपने बस की तो है बात नहीं।
रामधारी सिंह दिनकर की अमर रचना रश्मिरथी की ये पंत्तियां एक प्रांत पर सबसे मुफीद बैठती हैं। जहां की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को लंबी ढाढ़ी रखने की आजादी नहीं है। रोजा रखने की इजाजत नहीं है, बच्चे पैदा करने की आजादी नहीं है। महिलाओं को बुर्का पहनने की आजादी नहीं है त्योहार भी मनाने की आजादी नहीं है। एक ऐसा प्रांत जो आकार में दुनिया में सबसे बड़ा प्रांत है। जिसका आकार पाकिस्तान से डेढ़ गुना और बांग्लादेश से 12 गुणा ज्यादा है। जिस प्रांत की कुल आबादी में से 50 फीसदी लोग इस्लाम को मानने वाले हैं और बहुसंख्यक आबादी तुर्की भाषा में बात करती है। एक ऐसा राज्य जिसकी सीमाएं भारत समेत रूस, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मंगोलिया जैसे आठ देशों से मिलती है। इनमें से पांच प्रमुख इस्लाम को मानने वाले देश हैं। डिटेंनशन कैंप में रखे जाने और कपास की खेती में जबरन ढकेले जाने जैसी खबरों के अलावा उईगर मुस्लिमों पर अत्याचार की कई कहानियां समय-समय पर सामने आती रहती हैं। ऐसे में बड़ा सवाल की आखिर चीन की कम्युनिस्ट सरकार उइगर मुसलमानों क्या दुश्मनी है। इस सवाल के जवाब से पहले आपको थोड़ा इतिहास में लिए चलते हैं।
चीन में मुसलमानों की आबादी 2.2 करोड़ है, यानी कुल आबादी का 1.6 फीसदी। चीन में इस्लाम मध्य पूर्व देशों के राजदूतों के जरिये अस्तित्व में आया। सातवीं शताब्दी में तांग साम्राज्य के सम्राट गाओजोंग से मिलने पहुंचे थे। इस दौर के बाद ग्वांगझाऊ में पहली मस्जिद का निर्माण हुआ ताकि हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर से होकर गुजरने वाले अरबी और ईरानी व्यापारी यहां इबादत कर सकें।
उईगर कबीलाई जिंदगी जीते थे और तुर्की में रहते थे। उन्होंने मंगोलिया में डेरा जमाया लेकिन वहां हमला होने के बाद महफूजियत की चाह लिए उईगर चीन के पश्चिम में आ गए। एक खाली इलाके पर बस्ती बसा ली। ये हिस्सा चीन से कटा रहता था और इसे शियू के नाम से जाना जाता था। 18वीं सदी में किंग वंश ने इस हिस्से को चीन में मिला लिया और नया नाम पड़ा शिनजियांग। जिसका अर्थ होता है नई सीमा। जब चीन में क्युमितांग और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच सिविल वाॅर चल रहा था उस वक्त शिनजियांग ने खुद को आजाद घोषित कर दिया था। लेकिन 1949 में जब म्ता यो तुंग के नेतृत्व में क्मयुनिस्ट पार्टी सत्ता में आई तो शिनजियांग को वापस चीन में मिला लिया गया। जैसा की तिब्बत से साथ किया गया। जिसके बाद 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद लोगों का भाषा, क्षेत्र, इतिहास और परंपरा के आधार पर 56 नस्लीय समूहों में बंटवारा किया गया। इनमें से 10 समूहों को वर्तमान में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के तौर पर जाना जाता है। घटती आबादी के क्रम में उन्हें वर्गीकृत किया गया है- उइगर, काजाख, डाॅन्गशियांग, किर्गिज, सालार, ताजीक, उज्बेक, बोनान और तातार। माऊ की क्रांति यहां के वाशिंदों के अस्तित्व पर खतरे की तलवान बनकर सामने आई। यहां मस्जिदों के स्थान पर पार्टी के दफ्तर बना दिए गए और धार्मिक किताबों को जला दिया गया। चीन के बहुसंख्यक हान समुदाय के लोगों को भी यहां लाकर बसाया गया और विरोध की गुंजाइश खत्म कर दी गई। उईगरों के लिए डिटेंनशन कैंप बनाए गए। इन कैंपों में लाखों मुस्लिम बंद हैं।
शिनजियांग से सीधी खबर आना मीडिया पर पाबंदी जैसे देशों में मुश्किल है। लेकिन बीबीसी ने इससे जुड़ी एक रिपोर्ट की थी जिसमें जेल में रह चुके लोगों से बीत भी की गई थी। बीबीसी को साझा किए गए अनुभव में आमिर नामक शख्स ने बताया- वो मुझे सोने नहीं देते थे। कई घंटों तक लटका कर रखा जाता था। मेरी चमड़ी में सूइंयां चुभाई जाती थी। मेरे नाखून नोचे जाते थे। इतना ही नहीं टाॅर्चर का सामान मेरे सामने टेबल पर रखा जाता था ताकि मैं खौफजदा रूं। मुझे दूसरे लोगों के चीखने की आवाजें भी सुनाई परती थी।
तनाव कैसे बनने लगा?
1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के वक्त इस क्षेत्र की आजादी के लिए यहां के लोगों ने संघर्ष किया। सोवियत संघ के टूटने के दौर में कई देश इस्लामिक पहचान से जुड़े थे। शिनजियांग में भी आजाद होने की इच्छा फिर हुई। लेकिन चीनी सरकार के कड़े रुख के आगे एक न चली। इसी दौरान हान चीनियों की संख्या प्रांत में बढ़ने लगी। कम्युनिस्ट सरकार पर हान लोगों को यहां बसाए जाने के आरोप लगे। वहीं उइगर अपनी ही जगह पर कम होते गए। आलम ये हो गया कि 1949 में महज छह फीसदी वाले हान 2000 की जनगणना में 40 फीसदी पर पहुंच जाते हैं।
हान और उइगर के बीच झड़प
हान चीनियों को प्रांत में बड़े-बड़े पद दिए जाने लगे और इस तरह धीरे-धीरे पूरी डेमोग्राफी बदल गई। फिर हान चीनियों और उइगरों के बीच टकराव की खबरें आने लगी। 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हिंसा में 200 लोग मारे गए। 2009 में यहीं दंगों में 156 उइगर मुस्लिम मारे गए। 2010 और 2012 में भीं टकराव की खबर आती रही। 2013 में प्रदर्शन कर रहे 27 उइगरों को पुलिस ने निशाना बनाया।
उइगर मुसलमानों से चीन की नफरत
शिनजियांग में 45 फीसदी उईगर मुसलमान रहते हैं। ये तुर्की से संबंध रखते हैं। लेकिन इस प्रांत के मुसलमान चीन की मर्जी के बगैर कुछ नहीं कर सकते। चीन की सरकार जब चाहे वहां मस्जिदों को गिरा कर पब्लिक टाॅयलेट बनवा देती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक चीन ने 18 लाख उइगर मुसलमानों को कैद में रखा है। 10 लाख मुसलमानों को डिटेंशन कैंप की बात संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी कही जा चुकी है। पिछले तीन सालों के भीतर शिनजियांग प्रांत में 10 से 15 हजार मस्जिदें नष्ट की जा चुकी हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अनुसार 2017 के से दो मिलियन उइगर, कजाक और अन्य अल्पसंख्यकों को कैंप के दरिये गुजरना होगा। जिसे चीन वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर बताता है और जहां चरमपंथ खत्म करने की ट्रेनिंग दिए जाने की बात कही जाती है। हालांकि पूर्व बंदियों ने वहां कैदियों को यातनाएं देने के आरोप लगाए। उन पर मेडिकल एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार को उइगर मुसलमानों की भाषा से भी आपत्ति है। शी जिनपिंग सरकार द्वारा शिनजियांग प्रांत के सभी शिक्षण संस्थानों से उइगर भाषा को पूरी तरह से हटा दिया गया है। किसी भी स्कूल, काॅलेज को उइगर भाषा में शिक्षा देने की अनुमति नहीं है। रेडियो फ्री एशिया ने इस बात का खुलासा किया है। आरएफए के अनुसार उत्तर पश्चिम चीन के शिनजियांग उइगर ऑटोनोमस रीजन में स्थित केप्लिन काउंटी के पास अब उइगर भाषा के कोई कोर्स उपलब्ध नहीं है।
अमेरिकी संसद के आयोग की रिपोर्ट
करीब दो हफ्ते पहले अमेरिकी संसद के आयोग की तरफ से एक रिपोर्ट आई जिसमें कहा गया कि चीन शिनजियांग में अल्पसंख्यक की एक बड़ी आबादी का नरसंहार कर रहा है। आयोग ने पिछले वर्ष सामने आए साक्ष्यों को इस दावे का आधार बनाया। चीन पर बने इस आयोग में अमेरिका की दोनों पार्टियां रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के सदस्य शामिल थे। बता दें कि शिनजियांग में विश्व के 20 प्रतिशत कपास का उत्पादन होता है। आयोग के अनुसार चीन ने यहां 5.70 लाख लोगों को कपास के काम में जबरदस्ती लगाया है। संयुक्त राष्ट्र संघ में करीब 40 देशों ने शिनजियांग में अल्पसंख्यक समूहों पर चीन के अत्याचार को लेकर आवाज उठाई थी। यूएन मानवाधिकार चीफ मिशेल बचेलेट समेत सभी देशों ने चीनी डिटेंशन सेंटर्स पर उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे जुल्म के साथ अल्पसंख्यक उत्पीड़न पर चीन को घेरा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा कि 10 लाख उइगर मुसलमानों को चीन ने शिनजियांग में बंधक बना रखा है।
मुस्लिम देशों ने साधी चुप्पी
पैगंबर मोहम्मग के कार्टून के विरोध में अखबार के दफ्तर पर हमला हो जाता है, भारत में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन होते हैं। म्यांमार में जब सेना द्वारा रोहिंग्याओं पर अत्याचार की खबर आती है तो खूब बवाल मचता है। दुनिया के किसी भी कोने में इस्लाम से जुड़ी जरा सी बात पर भी भूचाल आ जाता है। लेकिन दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी वाले मुस्लिम देश चीन के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यहां तक की इस्लामी देशों को अगुआ मानने वाला सऊदी अरब भी इस मुद्दे पर चुप रहता है। वहीं ऑटोमन साम्राज्य का बखान कर सऊदी का विकल्प बनने की मंशा रखने वाला तुर्की से ही तो उइगर शिनजियांग गए। पाकिस्तान और मलेशिया ने तो खामोशी की चादर ओध ली। ईरान ने तो उउगरों के दमन को इस्लाम की सेवा बता दिया। चीन की महत्वकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड में 20 मुस्लिम देश शामिल हैं। इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान में 4.47 लाख करोड़, सऊदी अरब में 5.20 लाख करोड़, ईरान में 29 लाख करोड़ के निवेश किए हैं, जो इन देशों की जुबान पर ताला लगाने के लिए काफी है।
क्यों अहम है शिनजियांग
भौगोलिक, सामरिक और आर्थिक रूप से शिनजियांग प्रांत बेहद अहम है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव रूट का अहम हिस्सा। चाइना पाकिस्तान इकाॅनमिक काॅरिडोर के लिए बेहद अहम। किर्गिस्तान, कजाकस्तान सबके पड़ोस में है। इन देशों के पास अकूत हाइड्रो पावर, नेचुरल गैस और पेट्रोलियम है। वहीं दूसरी तरफ चीन का आरोप है कि उइगर सत्ता के खिलाफ साजिश कर आतंकी हमले करने की फिराक में रहते हैं।
कश्मीर पर असर
उइगर मुस्लिमों के साथ ज्यादती का असर पाक के कब्दे वाले कश्मीर पर भी हुआ है। शिनजियांग से लगे गिलगित बाल्टिस्तान के कश्मीरी मुसलमानों के सदियों से उइगर मुस्लिमों से वैवाहिक संबंध रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वक्त से शादी करने वाली उइगर महिलाएं अपने मायके जाने पर कभी वापस नहीं लौट के आ सकी। आरोपों के अनुसार चीनी अधिकारियों ने पाकिस्तानी आतंकियों के उइगर उग्रवादियों से संपर्क बढ़ाने का जरिया मानकर इन महिलाओं को कैद कर लिया। - अभिनय आकाश