राजकोषीय अनुशासन पर कायम रहें राज्यः अरुण जेटली

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 11, 2016

केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में उछाल के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज उन्हें राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने, बुनियादी ढांचे व विकासपरक कामों पर खर्च बढ़ाने तथा लोगों को सीधे लाभ देने के लिए आधार मंच का इस्तेमाल करने की सलाह दी। राज्य के वित्त सचिवों के दूसरे सम्मेलन में उन्होंने आज यहां कहा, 'विकास से अलग दूसरे कार्यों पर खर्च करने की प्रवृत्ति थोड़े समय के लिए तो आकर्षक दिख सकती है लेकिन इसका फायदा लम्बे समय तक नहीं रहता।’’

 

उल्लेखनीय है कि चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत बढ़कर 42 प्रतिशत हो गयी है। उन्होंने कहा, 'राज्यों को 13वें वित्त आयोग में क्या मिल रहा था और अब क्या मिल रहा है यह स्पष्ट है। हो सकता है एक या दो मदों में यह कम हुआ हो पर पर कुल मिलाकर यह काफी ऊंचा हुआ है। अब हमारी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि हम खर्च करें और फिर यह सुनिश्चित करें कि हम कैसे और कहां खर्च करें।’’

 

जेटली ने कहा कि राष्ट्र का ध्यान सामाजिक क्षेत्र, बुनियादी ढांचा निर्माण और ग्रामीण क्षेत्रों पर खर्च बढ़ाने पर है। देखने में आया है कि इन क्षेत्रों पर पहले पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमें उन क्षेत्रों में विशिष्ट व्यय पर ध्यान देना चाहिए।’’ संसाधन लोगों तक कैसे पहुंचें, इसके बारे में उन्होंने कहा कि भविष्य में आधार मंच के जरिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण पर आपेक्षाकृत अधिक जोर होगा।

 

वित्त्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘‘हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि कुछ राज्यों के लिए मानकों के आधार पर कुछ अतिरिक्त राजकोषीय गुंजाइश की बन सके, लेकिन हम सबको जितनी लंबी चादर हो उतना ही पैर पसारना चाहिए और राजकोषीय अनुशासन पर कायम रहना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि जब से हमने (सार्वजनिक निवेश पर) ज्यादा खर्च करने के साथ साथ राजकोषीय अनुशासन पर कायम रहने की प्रवृत्ति दिखाई है, इसका ब्याज दर (कमी) और भारत की विश्वसनीयता (बढ़ने) के लिहाज से तुरंत नतीजा सामने आया है।’’ जेटली ने कहा कि कुल मिलाकर राज्यों ने राजकोषीय अनुशासन बरकरार रखा है और यदि आप को केंद्र के साथ कुछ मुश्कि है या कहीं काई अड़चन है तो आप अपनी भावना खुल कर रखें। कुल मिलाकर हम सहयोग की धारणा के साथ चाहेंगे कि दिक्कतें दूर हों। उन्होंने कहा कि विश्व भर में आर्थिक वृद्धि में कठिनाई है लेकिन भारत में अपना वृद्धि का एक ठीक ठाक स्तर बरकरार रखा है। इससे कर संग्रह बढ़ा है और राज्यों के पास व्यय के लिए उपलब्ध राशि भी बढ़ी है।

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