गडकरी के कड़े कानून की सारी कड़ाई राज्य सरकारों ने निकाल दी

By रमेश सर्राफ धमोरा | Sep 20, 2019

केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी इन दिनों अपनों के ही निशाने पर हैं। नया मोटर वाहन कानून लागू होने के बाद से ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी प्रदेश सरकारों व आम जनता के साथ अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर आए हुए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन विभाग ने एक सितम्बर से देश में नया मोटर वाहन कानून लागू किया है। नये मोटर वाहन कानून में यातायात नियमों को तोड़ने वाले वाहन चालकों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है जिसको लेकर गडकरी को चौतरफा विरोध झेलना पड़ रहा है। जिन प्रदेशों में भाजपा के विरोधी दलों की सरकार है वो तो नये कानून का विरोध कर ही रहे हैं साथ ही भाजपा शासित राज्यों की सरकारें भी नये कानून का विरोध कर रही हैं।

 

नये मोटर वाहन कानून में जुर्माने की राशि को लेकर विरोध हो रहा है क्योंकि नये कानून में जुर्माना राशि काफी बढ़ा दी गयी है। जब से नया मोटर वाहन कानून लागू हुआ है तब से वाहन चालकों के भारी जुर्माना राशि के चालान काटने की खबरें प्रतिदिन सुर्खियों में छप रही हैं। जिससे लोगों में नये कानून को लेकर गहरा डर बैठ गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो साफ कह दिया है कि किसी भी सूरत में नये कानून को प्रदेश में लागू नहीं करेगी। अगले डेढ़ साल में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में ममता बनर्जी किसी भी स्थिति में इतने अधिक जुर्माने की राशि वाले नये कानून को लागू करने के पक्ष में नहीं हैं।

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कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब व पुड्डूचेरी की राज्य सरकारों ने जुर्माना राशि घटाकर अपनी सुविधानुसार कानून लागू करने की बात कही है। वाम मोर्चा की केरल सरकार ने नए नियमों के तहत पहले तीन दिन जुर्माना किया। इसके बाद जनता और ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद इस पर रोक लगा दी है। केरल के परिवहन मंत्री एके ससींद्रन ने कहा कि फिलहाल हमने संशोधित जुर्माना नहीं वसूलने का फैसला किया है। ओडिशा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में कई जगहों पर पुलिस और जनता के बीच विवाद को देखते हुए संशोधित अधिनियम का क्रियान्वयन तीन महीने के लिए रोक दिया गया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने परिवहन विभाग को लोगों को इस कानून के बारे में बताने के लिए कहा है ताकि इसे आसानी से लागू किया जा सके। बिहार सरकार ने एक सितंबर को आदेश पारित कर कहा है कि केंद्र द्वारा निर्धारित जुर्माना राज्य में लागू किया जाएगा।

 

भाजपा शासित गुजरात सरकार ने नया मोटर वाहन कानून लागू तो कर दिया मगर यातायात उल्लंघन के 15 मामलों में जुर्माना राशि में काफी कटौती की है। अधिकांश मामलों में केंद्र द्वारा प्रस्तावित जुर्माने की राशि 50 फीसद कम की गई है तो कुछ में 70 फीसद तक की कमी की गई है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने साफ कहा कि सरकार कठोर जुर्माना लगाकर लोगों को परेशान नहीं करना चाहती है। महाराष्ट्र सरकार ने अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर संशोधित अधिनियम लागू नहीं किया गया है। परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने केन्द्रीय परिवहन मंत्री गडकरी को पत्र लिखकर जुर्माना राशि कम करने को कहा था। रावते ने कहा कि उनके विभाग ने एक प्रशासनिक निर्णय लिया है। संशोधित जुर्माना राशि की घोषणा करने से पहले यह कानून विभाग की राय का इंतजार कर रहा है। कर्नाटक के परिवहन मंत्री लक्ष्मण सावदी के मुताबिक संशोधित अधिनियम तीन सितंबर को लागू हो गया। मगर राज्य सरकार जुर्माने को कम करने की अनुमति के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करेगी। सरकार इस बारे में गुजरात सरकार से भी परामर्श करेगी। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे कि जुर्माने की राशि आम लोगों पर भारी न पड़े। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ चर्चा करने के बाद गुजरात की तरह जुर्माना राशि में कमी की जाएगी।

 

झारखंड सरकार ने आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुये नए कानून के तहत भारी भरकम जुर्माने से तीन माह तक राहत देने का फैसला किया है। इस दौरान पुराने कानून के तहत ही कार्रवाई होगी। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अधिकारियों से कहा है कि तीन माह तक यातायात नियमों को लेकर लोगों के बीच सघन जागरूकता अभियान चलाया जाए। उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री अशोक कटारिया ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में यातायात नियमों के उल्लंघन पर चालान की पुरानी दरें ही लागू हैं। पुलिस को निर्देश दिए गए हैं कि नई दरों से चालान न करें।

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उत्तराखंड सरकार ने नये कानून के जुर्माने में कटौती के साथ अपनाने का फैसला किया। राज्य मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि अगर कोई अनधिकृत व्यक्ति वाहन चलाते पकड़ा जाए, बिना लाइसेंस के वाहन चलाने या नाबालिग द्वारा सार्वजनिक स्थान पर वाहन चलाने पर तो उस पर 5000 के बजाय 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए अयोग्य चालक सार्वजनिक स्थान पर वाहन चलाता है तो उस पर केंद्र द्वारा प्रस्तावित 10,000 रुपये के बजाय 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। ड्राइविंग करते समय मोबाइल पर बात करने पर केंद्र सरकार ने 5,000 रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया लेकिन उत्तराखंड ने इसे घटाकर 1,000 रुपये करने का फैसला किया।

 

नया मोटर वाहन कानून लागू करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि देश में प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटना में डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है। इस नये कानून के लागू होने से लोगों में यातायात के नियमों की पालना करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। उनका कहना है कि सरकार का मकसद जुर्माने से धन संग्रह करना नहीं है बल्कि लोगों में नियमों की पालना करने को बढ़ावा देना है। उनका कहना है कि अभी तक देश में तीस साल पुराने कानून के अनुसार जुर्माना राशि ली जाती थी जो वर्तमान समय में काफी कम थी।

 

नया मोटर वाहन कानून केंद्र सरकार के गले की घंटी बनता नजर आ रहा है। इसको लेकर कई राज्य सरकारें केंद्र से टकराव के मूड में हैं। नए नियमों के मुताबिक वाहनों के भारी भरकम राशि के चालान काटे जा रहे हैं जिनको भरना आम व्यक्ति के बूते की बात नहीं है। सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यातायात नियमों का उल्लंघन नहीं बल्कि देश के अंदर सड़कों की दुर्दशा है। आज देश में सड़कें इतनी बुरी हालत में हैं कि दुर्घटनाओं को सबसे बड़ा कारण सड़कों का क्षतिग्रस्त होना माना जा रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस बनाते वक्त नियमों का सख्ती से पालन होगा तो दुर्घटनाओं में कमी आना स्वाभाविक है। घर बैठे बिना कोई जांच किए लोगों के लाइसेंस बन जाते हैं जो सड़क दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है। सिर्फ भारी राशि के जुर्माना लगाने के डर से ही नियमो का पालन नहीं करवाया जा सकता है। सड़क नियमों की पालना करवाने के लिये आम नागरिकों को सड़क पर वाहन चलाते समय किन नियमों का पालन करना चाहिये इस बाबत जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिये ताकि लोगों में सड़क पर वाहन चलाते समय सजगता व सावधानी बनी रहे।

 

बहरहाल केन्द्र सरकार में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इस नये कानून को लेकर भाजपा के मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों के निशाने पर हैं। हालांकि वो नये कानून में लगाये गये जुर्माने को व्यावहारिक व समयानुसार बता रहे हैं। मगर उनकी यह बात उनकी अपनी ही पार्टी के नेताओं के गले नहीं उतर रही है। नया कानून लागू करते वक्त गडकरी ने कुछ कड़ा रूख अपनाया था मगर चौतरफा विरोध को देखते हुये उन्होने अपने सुर नरम कर लिये हैं। गडकरी भी अब कहने लगे हैं कि प्रदेश सरकार इस कानून को अपनी सुविधानुसार लागू कर सकती हैं।

 

-रमेश सर्राफ धमोरा

 

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