By प्रेस विज्ञप्ति | May 22, 2022
बीजेपी नेता ढोल पीट रहे हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने पेट्रोल के प्रति लीटर पर 9.5 रुपए और डीजल के प्रति लीटर पर 7 रुपए की एक्साइज ड्यूटी कम कर लोगों को बड़ी राहत दी है लेकिन वास्तव में बीजेपी नेता इस फैसले माध्यम से लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं केंद्र की मोदी सरकार की पोल खोलते हुए यह बात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कही है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल में प्रति लीटर 9.5 रुपए की गई कटौती में 4 रुपए और डीजल की प्रति लीटर 7 रुपए कटौती में 3 रुपए महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अगर केंद्र की मोदी सरकार सचमुच ईमानदार है और लोगों को राहत देना चाहती है, तो उन्हें 2014 से ईंधन की दरों पर बढ़ाए गए अनुचित करों को समाप्त कर देना चाहिए ताकि ईंधन की कीमतों को वास्तविक दाम वसूला जा सके और महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके।
इस मुद्दे पर आगे बोलते हुए नाना पटोले ने कहा कि पांच महीने पहले मोदी सरकार ने पेट्रोल के दाम में 10 रुपए और डीजल के दाम में 10 रुपए की कटौती की थी लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ख़त्म होने के बाद दोबारा ईंधन के दाम में इज़ाफा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अब प्रदेश में भाजपा नेता राज्य सरकार से टैक्स में कटौती की मांग को लेकर गलत और भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं। चूंकि यह एक मूल्य वर्धित कर है, इसलिए भाजपा नेताओं को यह सामान्य ज्ञान नहीं है कि जैसे ही केंद्र सरकार कीमतें कम करती है, यह राज्य में खुद घट जाती है। पटोले ने कहा कि केंद्र द्वारा घटाए गए प्रत्येक एक रुपए में 41 पैसे राज्य के हैं। यानी नई कटौती के तहत पेट्रोल के 9.5 रुपए में करीब 4 रुपए और डीजल के 7 रुपए प्रति लीटर की कटौती में से करीब 3 रुपये राज्य सरकार के हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार सड़क विकास और कृषि विकास पर विभिन्न उपकर लगाकर ईंधन के नाम पर जनता से पैसे की लूट कर रही है। राज्य सरकार को उत्पाद कर में अपना हिस्सा मिलता है लेकिन उपकर का कोई हिस्सा नहीं मिलता है। केंद्र सरकार एक तरफ एक्साइज ड्यूटी घटाकर राज्य के लिए आर्थिक मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश कर रही है तो दूसरी तरफ सेस लगाकर लोगों को लूट रही है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
नाना पटोले ने कहा कि साल 2014 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.56 रुपए और डीजल पर 3.48 रुपए प्रति लीटर था। उस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 111 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर थी. आज कच्चे तेल की कीमतें तब की तुलना में कम हैं। फिर भी, अतिरिक्त कर लगाए जा रहे हैं। मोदी सरकार ने पिछले सात वर्षों में ईंधन करों से करीब 27 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है। आरबीआई से निकाले 2.5 लाख करोड़ रुपए के लिए मोदी सरकार ने कोई फंड नहीं जुटाया है। ऋण सकल घरेलू उत्पाद का 90% है। गैस सिलेंडर के मामले में 700 रुपए की बढ़ोतरी और उसके बाद 200 रुपए की कमी सिर्फ एक छलावा है । अगर मोदी सरकार की मंशा आम आदमी को मंहगाई से राहत देने की है तो उन्हें गैस सिलेंडर की कीमत 400 रुपए कर लोगों को फिर से सब्सिडी देना शुरू करना चाहिए।