By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 13, 2017
दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्रा ने विशेषज्ञ पैनल के उन निष्कर्षों का मखौल उड़ाया है जिसमें कहा गया है कि यमुना किनारे आयोजित विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम ने यमुना के डूब वाले इलाके में तबाही मचाई है। उन्होंने जोर दिया कि इस कार्यक्रम को फिर से ‘‘उसी तट के किनारे’’ आयोजित किया जाना चाहिए। जल मंत्री ने आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर को इस कार्यक्रम को दोबारा आयोजित कराने के लिए आमंत्रित किया है। पिछले वर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन रविशंकर ने ही किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डूब क्षेत्र को दोबारा विकसित करने में 10 वर्ष का समय लग जाएगा। रिपोर्ट की गंभीर विषय वस्तु से विचलित हुए बगैर मिश्रा ने कहा कि कार्यक्रम को यमुना के तट पर ‘‘बार बार’’ आयोजित किया जाना चाहिए। मिश्रा ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम के पहले यमुना में डॉल्फिन तैरती थीं। विश्व भर से पर्यटक यहां अचम्भे के तौर पर आते थे। उस वक्त श्री श्री आए और उन्होंने नालों को मौलिक नदी में तब्दील किया। उन्होंने इसे इतनी क्षति पहुंचा दीं कि उसे बहाल करने में 10 वर्ष का वक्त लग जाएगा।’’
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के पिछले वर्ष के एक अध्ययन में पाया था कि जलीय जीवन को सहयोग देने वाला यमुना का घुलित ऑक्सीजन (डीओ) स्तर राष्ट्रीय राजधानी में नदी के यात्राकाल के दौरान अनेक बिंदुओं पर शून्य पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास गवाह है कि जब कभी भी लोग और समाज नदियों से जुड़े हैं त्योहार आयोजित किए हैं तब नदियां स्वच्छ और मौलिक रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि विश्व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन यमुना के किनारे ही किया जाना चाहिए। बार बार। मैं श्री श्री को कार्यक्रम दोबारा आयोजित करने के लिए आमंत्रित करता हूं।’’ गौरतलब है कि विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया है कि यमुना के डूब क्षेत्र को बहाल करने के लिए 42.02 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।