By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 12, 2022
कोलंबो। श्रीलंका को संभवत: रूस से अधिक कच्चा तेल खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने यह बात कही है। असाधारण आर्थिक संकट के बीच यह द्वीपीय देश इस समय गंभीर ईंधन संकट से जूझ रहा है। विक्रमसिंघे ने शनिवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि वह पहले अन्य स्रोतों से खरीद की संभावना तलाशेंगे, लेकिन रूस से अधिक कच्चा तेल खरीदने का विकल्प खुला है। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ज्यादातर पश्चिमी देशों से रूसी ऊर्जा का आयात रोक दिया है।
विक्रमसिंघे ने साक्षात्कार में कहा कि बढ़ते कर्ज के बोझ के बावजूद वह चीन से और वित्तीय मदद लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका की मौजूदा स्थिति उसकी खुद की वजह से है, लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण हालात और खराब हो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में खाद्य संकट 2024 तक बना रह सकता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि रूस ने श्रीलंका को गेहूं देने की भी पेशकश की है। विक्रमसिंघे के पास वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी हैं। उन्होंने यह साक्षात्कार राजधानी कोलंबो में अपने कार्यालय में दिया। उन्होंने छठी बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री का पद संभाला है।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश के आर्थिक संकट को सुलझाने के लिए विक्रमसिंघे की नियुक्ति की है। आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो गया है। पिछले महीने देश में हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री का पद संभाला है। इस समय श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। इस साल श्रीलंका ने करीब सात अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान नहीं किया है। करीब दो सप्ताह पहले श्रीलंका ने अपनी एकमात्र रिफाइनरी को चालू करने के लिए रूस से 90,000 मीट्रिक टन कच्चा तेल खरीदा था।