By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 18, 2019
कोलंबो। श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सोमवार को अपने शपथग्रहण समारोह में नपा-तुला भाषण दिया। उन्होंने कहा कि उनका देश सभी देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखना चाहता है और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के आपसी संघर्ष में तटस्थ बना रहना चाहता है। श्रीलंका में गृहयुद्ध के दौरान विवादस्पद रक्षा सचिव रहे 70 वर्षीय राष्ट्रपति का बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्राचीन समय से ही हिंद महासागर में यह देश अपने स्थान और समुद्री रास्ते की वजह से महत्वपूर्ण कारोबारी स्थान रहा है। यहां चीन अपना दबदबा बढ़ा रहा है जिससे भारत के लिए चिंता बढ़ रही है।
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राजपक्षे को रविवार को राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल हुई। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सजीत प्रेमदास को 13 लाख वोटों से हराया। अनुराधापुर स्थित रुवनवेली सेया से राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राजपक्षे ने विदेश नीति और सतत विकास के बारे में चर्चा की। न्यूज फर्स्ट की खबर के मुताबिक विदेश नीति के बारे में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीलंका सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बरकरार रखेगा लेकिन वह अंतरारष्ट्रीय शक्तियों के बीच आपसी संघर्ष के प्रति तटस्थ रहेगा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करने की बात कही और श्रीलंका को सतत विकास में दुनिया के अग्रणी देशों में लाने का संकल्प लिया।
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राष्ट्रपति ने यह आश्वासन दिया कि उनके प्रशासन में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजपक्षे को लिट्टे के साथ श्रीलंका के 30 साल पुराने गृहयुद्ध को खत्म करने का श्रेय जाता है। देश में सिंहली बौद्ध उन्हें जहां ‘युद्ध नायक’ के रूप में देखते हैं, वहीं तमिल अल्पसंख्यक उन पर भरोसा नहीं करते हैं।