SpiceJet के कर्माचरी 2.5 साल से PF के इंतजार में, रिपोर्ट में खुलासा

By रितिका कमठान | Jul 08, 2024

स्पाइसजेट एयरलाइन्स ने अपने कर्मचारियों को बीते 2.5 साल से भविष्य निधि बकाया का भुगतान नहीं किया है। कंपनी की ओर से अंतिम बार पीएफ जनवरी 2022 में जमा करवाया गया था। इस दौरान 11,581 कर्मचारियों के लिए नो-फ्रिल्स एयरलाइन द्वारा किया गया था। ये जानकारी एक आरटीआई के जवाब में सामने आई है।

संकटग्रस्त एयरलाइन स्पाइसजेट को और अधिक वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यह बात सामने आई है कि कंपनी ने लगभग ढाई वर्षों से कर्मचारियों के भविष्य निधि का बकाया जमा नहीं किया है। बता दे ंकि कर्मचारियों का पीएफ बकाया जमा न करने के संबंध में स्पाइसजेट को नोटिस और समन भेजे गए थे। स्पाइसजेट ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। आरटीआई से पता चला है कि ईपीएफओ ने इस संबंध में स्पाइसजेट को नोटिस और समन जारी किया है। इस मामले में एयरलाइन की प्रतिक्रिया का इंतजार है। इस वर्ष अब तक स्पाइसजेट के शेयरों में 7.6 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन एक वर्ष पहले की तुलना में इसमें 86 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

इससे पहले फरवरी में भी ऐसी खबरें आई थीं कि एयरलाइन ने फंड की कमी और नकदी की कमी के कारण ईपीएफओ जमा में देरी की थी, जबकि जनवरी महीने का वेतन भी देरी से दिया गया था। एयरलाइन को विभिन्न पट्टादाताओं से मुकदमेबाजी का भी सामना करना पड़ रहा है, जिनमें से कुछ विमान के पट्टे की अवधि बढ़ाने को लेकर आशंकित हैं।

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने 18 अप्रैल को तीन विमान पट्टादाताओं द्वारा दायर तीन दिवालियापन याचिका पर कम लागत वाली एयरलाइन को नोटिस जारी किया था, जिसमें कुल 77 करोड़ रुपये की चूक की बात कही गई थी। मई में, केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन ने स्पाइसजेट और उसके प्रमुख अजय सिंह से 1,323 करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना मांगा था और साथ ही दोनों पक्षों के बीच चल रहे विवाद में दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। 

फरवरी 2015 में मारन और उनके निवेश वाहन केएएल एयरवेज ने स्पाइसजेट में अपनी 58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी सिंह को हस्तांतरित कर दी थी। स्पाइसजेट के सह-संस्थापक सिंह ने एयरलाइन की करीब 1,500 करोड़ रुपये की देनदारियों का भार उठाया।। समझौते के तहत मारन और केएएल एयरवेज ने कहा कि उन्होंने वारंट और वरीयता शेयर जारी करने के लिए स्पाइसजेट को 679 करोड़ रुपये का भुगतान किया। हालांकि, मारन ने आरोप लगाया कि वारंट और वरीयता शेयर आवंटित नहीं किए गए और उन्होंने स्पाइसजेट और सिंह के खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही शुरू की।

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