By अंकित सिंह | Sep 03, 2022
उत्तराखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर राज्य की राजनीति में बवाल मचा हुआ है। नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद का आरोप लगा है। इन सब के बीच विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी का भी बयान सामने आ गया है। रितु खंडूरी ने साफ तौर पर कहा है कि वह अनियमितता बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगी। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक रितु खंडूरी ने बताया कि आज 2 फैसले लिए गए हैं। विशेष समिति का गठन किया है जो 1 महीने में जांच रिपोर्ट सौंपेगी। दूसरा मौजूदा विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल 1 महीने छुट्टी पर रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें जांच के लिए निर्देश मिलने पर विशेष समिति के सामने पेश होना होगा। जल्द से जल्द सदन की गरिमा को बहाल किया जाएगा।
इस मामले को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी से मुलाकात की थी। इस दौरान पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग मुख्यमंत्री की ओर से की गई थी। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि विधानसभा एक गरिमामय, स्वायत्तशासी और संवैधानिक संस्था है और इस संस्था की गरिमा को बनाए रखना सबकी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को भविष्य में निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्तियों के लिए प्रावधान करने का भी सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री पहले भी कह चुके हैं कि राज्य सरकार पूरे मामले को लेकर जांच में पूरा सहयोग करेगी। वहीं, विपक्ष इसको लेकर सरकार पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है।
पूरे मामले को लकेर कांग्रेस का आरोप है कि प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल जब पिछली विधानसभा में अध्यक्ष पद पर थे, उस दौरान भर्तियों में बड़े स्तर पर अनियमितताएं हुईं और उस दौरान राजनीतिक नेताओं के रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों को विधानसभा में नौकरियां बांटी गयीं। इस संबंध में इंटरनेट पर अग्रवाल के कार्यकाल की अवधि में हुई 74 भर्तियों की एक सूची भी प्रसारित हुई। इसके जवाब में, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा की गयी 178 भर्तियों की एक और सूची भी प्रसारित हुई। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरे मामले पर अपना मौन तोड़ने और उनकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की। प्रदेश समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने आरोप लगाया कि एक के बाद एक सामने आ रहे भर्ती घोटालों की सूची में अब विधानसभा का भी नाम जुड़ गया है जहां पूर्व अध्यक्षों ने बेटे-बहू, भांजे और भतीजियों सहित अपने अनेक रिश्तेदारों को नियुक्ति दिलवाई।