राजस्थान में निर्माण मजदूरों के पंजीकरण के लिए 15 जुलाई से विशेष अभियान

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 07, 2021

जयपुर। राजस्थान का श्रम विभाग राज्य में निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के पंजीकरण के लिए 15 जुलाई से 15 अगस्त तक विशेष अभियान चलाएगा ताकि मजदूरों को केंद्र तथा राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लाभांवित किया जा सके। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को इसके लिए निर्देश दिए। गहलोत केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित श्रम संहिताओं के प्रारूप पर विमर्श के लिए आयोजित विशेष बैठक को आनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के पंजीकरण के लिए अभियान के दौरान श्रम विभाग के अधिकारी निर्माण स्थलों तथा मजदूरों के इकट्ठा होने की जगहों पर जाकर मौके पर पंजीकरण करें।

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इससे आधिकारिक निर्माण मजदूर भवन व अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू) के तहत संचालित योजनाओं को लाभ ले सकेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्माण मजदूरों के परिवारों की ओर से बीओसीडब्ल्यू के पास विभिन्न योजनाओं से संबंधित लंबित आवेदनों के जल्द निस्तारण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के संचालन के लिए राज्य भर में निर्माणकर्ताओं से उपकर संग्रहण (सेस कलेक्शन) के काम को गति दी जाए। उन्होंने बीओसीडब्ल्यू के प्रावधानों के तहत बड़े भवन एवं अन्य संरचना निर्माणकर्ताओं से निर्माण कार्य की लागत के एक प्रतिशत सेस की वसूली के लिए विशेष अभियान चलाने, निर्माण कार्यों की जीआईएस मैपिंग करवाने तथा विभाग के स्तर पर एमनेस्टी योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए।

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गहलोत ने श्रम विभाग को प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन, मैकेनिक, पटरी-रेहड़ी पर सामान बेचने वाले, खोमचे वाले, स्ट्रीट वेंडर्स, रिक्शा चालक आदि असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों के लिए बीओसीडब्ल्यू की तर्ज पर अलग बोर्ड गठित करने के प्रस्ताव का परीक्षण करने के निर्देश दिए। श्रम राज्यमंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि बीओसीडब्ल्यू के लिए उपकर वसूली के लिए आवश्यक है कि श्रम विभाग भवन निर्माणों की जीआईएस मैपिंग का काम शहरी विकास तथा स्वायत्त शासन विभागों के साथ समन्वय कर जल्द पूरा करे। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने बताया कि केंद्र सरकार ने श्रम कल्याण, वेतन-मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक विवाद आदि से संबंधित 29 कानूनों को संकलित 4 श्रम संहिताओं के रूप में प्रस्थापित करने का निर्णय लिया है। इन संहिताओं को लागू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियम बनाया जाना प्रस्तावित है।

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