विधानसभा स्पीकर विपिन सिंह परमार ने कहा हिमाचल एसेंबली डिजिटल इंडिया के सपने को साकार कर रही

By विजयेन्दर शर्मा | Sep 17, 2021

शिमला।  हिमाचल विधानसभा के विशेष सत्र में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद  का स्वागत करते हुये स्पीकर विपन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व की स्वर्णिम जयंती वर्ष के अवसर पर हिमाचल प्रदेश की तेरहवीं विधान सभा के विधायक बिरादरी के बीच भारत के माननीय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का होना मेरे लिए अत्यन्त गौरव की बात है। मैं और मेरे सहयोगी माननीय राष्ट्रपति का हृदय से स्वागत एवं अभिनन्दन करता हूं और मैं, महोदय, निमंत्रण स्वीकार करने, शिमला आने तथा इस विधानसभा के सदस्यों को संबोधित करने, आशीर्वाद देने, के लिए अपना हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करता हूं।

 

 

 

 

यह अवसर इस विधान सभा के लिए एक अविस्मरणीय सम्मान तथा ऐतिहासिक पल है। इस अवसर पर परमार ने बताया कि यह विधान सभा भवन एक ऐतिहासिक धरोहर है जिसे मिस्टर डब्ल्यू० जॉर्ज द्वारा डिजाइन किया गया था। इस अमूल्य धरोहर का निर्माण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में केन्द्रीय विधान मण्डल की बैठकों को आयोजित करने के लिए किया गया था। इसका उद्घाटन 27 अगस्त, 1925 को वायसराय लॉर्ड रीडिंग द्वारा किया गया। 

 

 

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इसी सदन में वर्ष 1925 में विट्ठल भाई पटेल ने स्वराज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में ब्रिटिश नॉमिनी को 2 मतों से पराजित कर प्रथम भारतीय प्रेसीडेंट बनने का श्रेय प्राप्त किया था। श्री विठ्ठल भाई पटेल 1925 से 1930 तक रहे। उन्होंने विधायिका के कामकाज में स्वस्थ पंरम्पराओं की स्थापना की। आजादी के बाद डॉ. वाई.एस. परमार, हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बने। उनके उत्कृष्ट नेतृत्व में इसी सदन में कई महत्वपूर्ण, प्रगतिशील और सामाजिक-आर्थिक कानून अधिनियमित किए गए। 

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश माता-पिता और आश्रित भरण-पोषण विधेयक, 2001 पारित करने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना। इस सभा द्वारा अगस्त, 2021 तक कुल 1339 विधेयक पारित किए जा चुके हैं। महोदय आजादी के पश्चात कौंसिल चैंबर भवन में कई उच्च संस्थान कार्यरत रहे। इनमें देश के विभाजन के पश्चात तत्कालीन  पंजाब विधान सभा, सी0 श्रेणी राज्य हिमाचल प्रदेश की विधान सभा, हिमाचल प्रदेश राज्य सिविल सचिवालय तथा ऑल इंडिया रेडियो शामिल है।  1956 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा को हटाने के पश्चात 1 अक्तुबर, 1963 को इसके पुनः अस्तित्व में आने पर सभा का पहला सत्र कौंसिल चैंबर में आयोजित हुआ। महोदय मुझे यह बताने पर गर्व हो  रहा है कि आज से 100 वर्ष पूर्व 1921 में पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन भी शिमला में आयोजित किया गया था जो अपने आप में एक अविस्मरणीय एवं ऐतिहासिक घटना है। 

 

 

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यह सदन ब्रिटिश काल से स्थापित गरिमा और मर्यादा को अक्षुण बनाए रखने में सक्षम रहा है।  25 दिसम्बर, 2006 को धर्मशाला स्थित तपोवन नामक स्थान पर विधान सभा के लिए नए भवन का उद्घाटन किया गया। 26 दिसम्बर, 2006 से प्रतिवर्ष प्रदेश विधान सभा के शीतकालीन सत्र का आयोजन इसी  भवन मां किया जा रहा है। 4 अगस्त, 2014 को  ई- विधान प्रणाली के लागू होने के फलस्वरूप प्रदेश विधान सभा को देश की सर्वप्रथम च्ंचमतसमे विधान सभा होने का गौरव प्राप्त हुआ है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रद्धेय नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करते हुए हमनें माननीय विधायकों के लिए ई- निर्वाचन क्षेत्र प्रबन्धन, ई-समिति, ई- डायरी तथा मोबाईल ऐप जैसी सुविधायें ईजाद की हैं। महोदय इन्हीं शब्दों के साथ एक बार फिर आपका और यहां पर उपस्थित अन्य सभी विशिष्ट अतिथियों का अपनी ओर से और अपने सहयोगियों की ओर से इस ऐतिहासिक धरोहर विधान सभा परिसर में स्वागत करता हूं  और इस अवसर की शोभा बढ़ाने के लिए आपका बहुत -बहुत धन्यवाद करता हूं।

 

 

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उन्होंने प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री  जय राम ठाकुर जी, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, मंत्रीपरिषद के सभी सम्मानीय सदस्य, उपाध्यक्ष विधान सभा, विशिष्ट दीर्धा में बैठे सभी विशिष्ट अतिथिगण, विधान सभा सदस्य, राज्यसभा लोकसभा के सभी वर्तमान एवं पूर्व सदस्यगण, हिमाचल प्रदेश विधान सभा के पूर्व सदस्यगण, केंद्र व राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी तथा मीडिया का आभार व्यक्त किया।


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