कोल्हापुर। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर ‘जानबूझकर’ अफवाहें फैलाने और समाज को बांटने की कोशिश की जा रही हैं। किसी भी पार्टी का नाम लिए बिना, फडणवीस ने कहा कि कुछ राजनीतिक संगठन समाज का सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश का अल्पसंख्यक समुदाय सुरक्षित है। फडणवीस ने पत्रकारों से यहां कहा, ‘‘ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। समाज को बांटने की जानबूझकर कोशिश की जा रही है। यह कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है और इसमें देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ये कानून तीन देशों -- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश-- के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है।’’
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विधानसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि अधिनियम को लेकर ‘जानबूझकर अफवाहें और गलतफहमियां फैलाने की कोशिश’ की जा रही है और समाज में फूट पैदा करने और सौहार्द को तोड़ने के लिए कुछ राजनीतिक दल सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में अल्पसंख्यकों समेत सभी सुरक्षित हैं।’’गौरतलब है कि देशभर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। इनमें से कुछ हिंसक हो गए हैं, जिनमें आगज़नी और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने प्रावधान है। फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर किसान कर्ज माफी की घोषणा करके किसानों के साथ ‘विश्वासघात’ का आरोप लगाया और मांग की कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार क्षतिग्रस्त फसल के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये दे।
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ठाकरे सरकार ने शनिवार को किसानों के लिए दो लाख रुपये तक के ऋण माफी का ऐलान किया था, जिसकी समय सीमा 30 सितंबर 2019 है। फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार 1.5 लाख रुपये के कर्ज को पहले ही माफ कर चुकी है। इसलिए ठाकरे की घोषणा से कुछ खास फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कोल्हापुर, सांगली और सतारा में अक्टूबर में बेमौसम बारिश हुई थी जिसमें 94 लाख हेक्टेयर पर लगी फसल को नुकसान हुआ था और किसानों को 100 फीसदी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री ने प्रभावित किसानों को 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर देने का वादा किया था लेकिन इस शीत सत्र में उन्हें कुछ नहीं दिया गया।