By अभिनय आकाश | Mar 11, 2022
उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। इसके साथ ही बीजेपी की इस जीत ने 37 बाद लगातार दो बार सीएम बनने और नोएडा आने वाला सीएम फिर से नहीं बन पाता जैसे अंधविश्वास को भी योगी आदित्यनाथ ने ध्वस्त किया। 'मोदी-योगी' जादू की बदौलत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी अपना दल (सोनीलाल) ने उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में से 270 से अधिक सीटें जीती। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी (सपा)-राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) गठबंधन ने 2017 की अपनी स्थिति में सुधार किया, लेकिन 125 सीटों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
समाजवादी पार्टी ने रालोद के कुछ उम्मीदवारों को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाया। लेकिन इस वजह से मतदाताों के मन में कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई। वहीं कईयों को सपा का ये रवैया नहीं भाया। जाटों ने रालोद को केवल उन्ही सीटों पर वोट दिया जहां उसके अपने चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार थे। वहीं सपा के उम्मीदवारों से दूरी बनाई। इसके साथ सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले रालोद नेताओं को भी उनके समर्थकों का वोट नहीं मिल सका।
2014 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनग दंगा एक बड़ा मुद्दा बना था। जब दंगा हुआ तब राज्य में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार थी। बीजेपी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। हालांकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने हर चुनावी सभा में मतदाताओं को ये बताने के लिए एक दलील भी दी कि वो साफतौर पर एक अच्छे साथी थे और उन लोगों के लिए अच्छा नहीं था जो रालोद के पक्ष में थे। लेकिन ज्ञात हो रालोद ने अपना सबसे बेहतरीन प्रदर्शन साल 2002 में बीजेपी के साथ रहते हुए ही किया था। जब उसे 38 में से 14 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।