By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 04, 2019
बलिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा में सपा के नेता राम गोविंद चौधरी ने बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि में हुए 2600 करोड़ रुपये के कथित घोटाला मामले में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और विभाग के प्रमुख सचिव को बर्खास्त कर जेल भेजने तथा घोटाले की उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है। चौधरी ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के 2600 करोड़ रुपये का निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश करना सीधे तौर पर लूट है। इतनी बड़ी लूट ऊर्जा मंत्री, पावर कार्पोरेशन के चेयरमैन और ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव की जानकारी के बगैर हो ही नहीं सकती। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि इन तीनों को तत्काल बर्खास्त करके जेल में डाला जाये और इस लूट की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से करायी जाये, ताकि इसमें शामिल अन्य बडे़ लोग भी गिरफ्त में आ सकें। इन लोगों के अपने पद पर बने रहने तक मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।
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चौधरी ने कहा कि अगर सरकार ने यह कार्रवाई नहीं की तो सपा इस मसले पर सड़क से सदन तक आंदोलन करेगी।भ्रष्टाचार के इस मामले में बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा की सफाई और राज्य सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर नेता विपक्ष ने योगी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इसी तरह की लूट महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक में भी हुई है। उसी की जांच पड़ताल में पता चला कि पीएमसी बैंक को लूटने वाली कम्पनी को ही उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने भी भारी रकम अंतरित की है। इससे स्पष्ट लग रहा है कि इस लूट की साजिश बड़े स्तर पर हुयी है।नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि इस मामले में ऊर्जा मंत्री, पावर कार्पोरेशन के चेयरमैन और ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव लगातार सफाई दे रहें है कि कर्मचारियों का रुपया सुरक्षित है।
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उनका यह दावा सीधे-सीधे सच पर पर्दा डालने जैसा है। कर्मचारी लूटे जा चुके है। मंत्री और अफसर इस घोटाले से अपनी जान बचाने के लिए सफाई दे रहें हैं।गौरतलब है कि बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के करीब 2600 करोड़ रुपये नियमविरुद्ध तरीके से निजी बैंकिंग संस्था डीएचएफएल में जमा कराये जाने का मामला सामने आया है। सरकार ने एक शिकायत पर इसकी जांच करायी और प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये गये दो पूर्व अफसरों को गिरफ्तार कर लिया गया है। बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इस घोटाले के लिये प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।