पहाड़ियों की रानी दार्जिलिंग की कुछ अविस्मरणीय यादें

By जे. पी. शुक्ला | Nov 12, 2020

पहाड़ियों की रानी, दार्जिलिंग भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में स्थित एक हिमालयी शहर है। यह अपने चाय उद्योग और यूनेस्को के विश्व धरोहर दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के साथ-साथ, माउंट कंचनजंगा के शानदार दृश्य के लिए एक पर्यटन स्थल के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। मनोरम घाटियों, नदियों के किनारे और निश्चित रूप से हरे भरे चाय के बागान दार्जिलिंग की अनूठी विशेषताएं हैं। दार्जिलिंग शहर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय है, जिसे आंशिक रूप से स्वायत्त दर्जा प्राप्त है और जिसे पश्चिम बंगाल राज्य के भीतर गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन कहा जाता है। यह भारत में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।

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इस शहर को 'हिमालय की रानी' के रूप में पहचाने जाने की एक वजह है। अगर आप दूर से चाय की पत्तियों को तोड़ती महिलाओं के साथ बिंदीदार हरे भरे ढलान को देखें तो निसंदेह आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकते हैं। दार्जिलिंग में 86 से अधिक चाय के बागान हैं जो दुनिया भर में प्रसिद्ध 'दार्जिलिंग चाय' के उत्पादन के लिए विख्यात हैं। मंत्रमुग्ध कर देने वाली धूप, पहाड़ियों की अछूती सुंदरता, अतीत की पुरानी दुनिया का आकर्षण और स्थानीय लोगों का स्वागत करती मुस्कुराहट- ये सभी मिलकर दार्जिलिंग को भारत के पूर्वी हिस्से के सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक बनाती है। यह सुंदर हिल स्टेशन एक रोमांटिक हनीमून के लिए एकदम सही जगह है और कोलकाता से लगभग 700 किलोमीटर दूर है।

 

पूरे क्षेत्र में व्यापक चाय बागान स्थापित किए गए हैं और चाय उत्पादकों ने नई फर्मेंटेशन  तकनीक से काली चाय के संकर विकसित किए हैं। दार्जिलिंग चाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है और दुनिया में सबसे लोकप्रिय काली चाय में शुमार है। इसके अलावा, दार्जिलिंग में कई ब्रिटिश शैली के निजी स्कूल भी हैं, जो पूरे भारत और कुछ पड़ोसी देशों के विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। तिब्बत, नेपाल, आसपास के भारतीय राज्यों और गोरखाओं के लोगों से दार्जिलिंग सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण है। दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची चोटी और भारत की सबसे ऊँची, कंचनजंगा शीर्ष यहाँ से स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिसके मनोरम दृश्य का आनंद आप अवश्य ले सकते हैं।

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दार्जिलिंग के प्रमुख आकर्षण

दार्जीलिंग हिमालयन रेलवे

टाइगर हिल

बताशिया लूप

दार्जीलिंग रोपवे

हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट

नाइटिंगेल पार्क

दार्जीलिंग रॉक गार्डन

सिंगलीला नेशनल पार्क

दार्जीलिंग पीस पैगोडा

संदक्फू ट्रक 

तीस्ता में रिवर राफ्टिंग

दार्जीलिंग के टी प्लांटेशन्स

हैप्पी वैली टी एस्टेट

दार्जीलिंग के मठ 

 

इसके अलावा, चाय के बागानों से घिरा दार्जिलिंग तीस्ता चाय और पर्यटन उत्सव के दौरान एक अलग ही रंग से खिल उठता है। नवंबर-दिसंबर के महीनों के दौरान पहाड़ियों जीवंत हो जाती हैं क्योंकि लोग इस अवसर को मनाने के लिए पूरे  उत्साह के साथ इकट्ठा होते हैं।

 

कैसे पहुंचे दार्जिलिंग?

निकटतम रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है, जो मुख्य शहर से 62 किमी दूर है। यह भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बैंगलोर, कोचीन, चेन्नई आदि  से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दार्जिलिंग सिलिगुड़ी से दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, जिसे टॉय ट्रेन के रूप में भी जाना जाता है और जो लगभग 80 किमी दूर है, द्वारा जाया जा  सकता है। निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा का है जो सिलीगुड़ी के पास है। 

 

सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के लिए नियमित बस सेवा है, जो लगभग 70 किमी दूर है। आसपास के शहरों जैसे कुरसेओंग और कलिम्पोंग से भी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। वैकल्पिक रूप से आप आसपास के शहरों जैसे सिलीगुड़ी, कलिम्पोंग और कुरसेओंग से भी दार्जिलिंग के लिए ड्राइव कर सकते हैं। लुभावने  पहाड़ी परिदृश्य के साथ सड़क नेटवर्क काफी अच्छा है।

 

दार्जिलिंग का भोजन

दार्जिलिंग में खाने के लिए बहुत सारे विकल्प हैं। पारंपरिक तिब्बती और सिक्किम के व्यंजनों से लेकर थाई व्यंजनों तक, अच्छे पुराने भारतीय व्यंजनों के साथ, दार्जिलिंग में भोजन प्रेमियों के लिए बहुत सारे विकल्प हैं। अनिवार्य रूप से यहां के भोजन में बंगाली, नेपाली और तिब्बती व्यंजनों के अलग-अलग डिशेस, स्टाइल और स्वाद हैं।

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दार्जिलिंग घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?

दार्जिलिंग घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के बीच का होता है जब मौसम खुशनुमा होता है। हालांकि, अक्टूबर से दिसंबर तक सर्दियों के महीनों के दौरान भी बहुत से लोग इस जगह पर जाना पसंद करते हैं। जुलाई से अगस्त के महीने में अच्छी बारिश होती है, इसलिए भारी वर्षा के दौरान इन महीनों में दार्जिलिंग का दौरा करना उचित नहीं है। सितंबर यात्रा करने का एक उत्कृष्ट समय है, क्योंकि इस समय कम वर्षा होती है और हरियाली अपने सबसे अच्छे मुकाम पर होती है।


- जे. पी. शुक्ला

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