आज सावन का आखिरी सोमवार है और सोम प्रदोष व्रत भी है। सावन का आठवां सोमवार पर आठ बहुत ही शुभ संयोग बन रहे हैं तो आइए हम आपको सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें सोम प्रदोष व्रत के बारे में
प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही प्रदोष काल में ही प्रदोष व्रत की पूजा होती है। पंडितों की मान्यता है कि सावन का सोमवार एवं प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और मन पवित्र हो जाता है।
सोम प्रदोष व्रत से होगा लाभ
इस दिन सावन का सोमवार और सोम प्रदोष व्रत होने के कारण सबसे पहले प्रदोष व्रत करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए। उसके बाद स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव का अभिषेक करना करें। पंचामृत और पंचमेवा का भगवान को भोग लगाएं उसके बाद व्रत का संकल्प लें। शाम में भगवान शिव की पूजा से पहले स्नान अवश्य करें तथा प्रदोष काल में शिव जी की आराधना प्रारम्भ करें।
सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा भी होती है रोचक
हिन्दू धर्म में बुद्ध प्रदोष व्रत के विषय में एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक पति अपनी पत्नी को लेने उसके मायके गया। ससुराल में घर के लोग सोमवार के दिन दामाद और बेटी को विदा न करने की आग्रह करने लगे। लेकिन पति अपने ससुराल वाली की बात पर ध्यान नहीं दिया और उसी दिन अपनी पत्नी को साथ लेकर अपने घर को चल दिया। रास्ते में दोनों पति-पत्नी जाने लगे तभी पत्नी को प्यास लगी तो पति ने कहा मैं पानी की व्यवस्था करके आता हूं। वह पानी लेने जंगल में चला गया। पति के लौटने पर उसने देखा कि पत्नी किसी और के साथ हंस रही है और दूसरे के लोटे से पानी पी रही है। यह देखकर वह काफी क्रोधित हो गया। तब उसने सामने जाकर देखा तो वहां पत्नी जिसके साथ बात कर रही थी वे कोई और नहीं बल्कि उसी का हमशक्ल था। पत्नी भी दोनों में सही कौन है इसकी पहचान नहीं कर पा रही थी ऐसे में पति ने भगवान शिव से प्रार्थना किया और कहा कि पत्नी के मायके पक्ष की बात न मान कर उसने बड़ी भूल की है। यदि वह सकुशल घर पहुंच जाएगा तो नियमपूर्वक सोमवार त्रियोदशी को प्रदोष का व्रत करेगा। ऐसा करते ही भगवान शिव की कृपा से दूसरा हमशक्ल गायब हो गया। उसी दिन से दोनों पति-पत्नी सोम प्रदोष का व्रत करने लगे।
सोम प्रदोष व्रत और सावन के सोमवार का है विशेष महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है। संतान की इच्छा रखने वाली स्त्रियों के लिए यह व्रत फायदेमंद होता है। अच्छे वर की कामना से कुंवारी कन्याएं इस व्रत को करती हैं।
सोम प्रदोष व्रत एवं सोमवार को ये न करें
सोम प्रदोष व्रत विशेष प्रकार का व्रत है इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की गलती से बचें। पंडितों का मानना है कि इस दिन साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। इस दिन नहाना नहीं भूलें। काले वस्त्र न पहनें और व्रत रखें। क्रोध पर नियंत्रण रखें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। साथ ही मांस-मदिरा का सेवन न कर केवल शाकाहार भोजन ग्रहण करें।
आखिरी सावन सोमवार 2023 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सोमवार 28 अगस्त 2023 को शाम 06:22 तक सावन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी। ऐसे में आप सुबह सोमवार व्रत की पूजा और शाम में प्रदोष व्रत का पूजा कर सकते हैं।
सुबह की पूजा का मुहूर्त: सुबह 09:09 - दोपहर 12:23 तक
प्रदोष काल में पूजा मुहूर्त: शाम 06:48 - रात 09:02 तक
सोम प्रदोष पर भगवान शिव की ऐसे करें आराधना
सोम प्रदोष पर स्नान के बाद सबसे पहले व्रत का संकल्प कर भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा की जाती है। फिर संध्या में यानि प्रदोष के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी करें। पंडितों का मानना है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है- उसपर भगवान शिव की सदैव कृपा बनी रहती है। अतः प्रदोष व्रत की रात के पहले प्रहर में शिवजी को कुछ न कुछ भेंट अवश्य करना चाहिए। सोम प्रदोष का व्रत अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंत्र महामृत्युजंय के मंत्र का जाप करें।
- प्रज्ञा पाण्डेय