By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 28, 2018
मुंबई। विशेष सीबीआई अदालत ने कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच एक पहले से सोचे समझे गए एक सिद्धांत के साथ कई राजनीतिक नेताओं को फंसाने के लिए की। विशेष सीबीआई न्यायाधीश एस जे शर्मा ने 21 दिसंबर को मामले में 22 आरोपियों को बरी करते हुए 350 पृष्ठों वाले फैसले में यह टिप्पणी की। अदालत ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया और तीन मौतों पर दुख प्रकट किया।
फैसले की प्रति शुक्रवार को अनुपलब्ध रही, लेकिन मीडिया को फैसले के अंश मुहैया किए गए। अपने आदेश में न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि उनके पूर्वाधिकारी (न्यायाधीश एमबी गोस्वामी) ने आरोपी संख्या 16 (भाजपा अध्यक्ष अमित शाह) की अर्जी पर आरोपमुक्त आदेश जारी करते हुए कहा था कि जांच राजनीति से प्रेरित थी। फैसले में कहा गया है, ‘‘मेरे समक्ष पेश किए गए तमाम सबूतों और गवाहों के बयानों पर करीब से विचार करते हुए मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि सीबीआई जैसी एक शीर्ष जांच एजेंसी के पास एक पूर्व निर्धारित सिद्धांत और पटकथा थी, जिसका मकसद राजनीतिक नेताओं को फंसाना था।’’
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आदेश में कहा गया है कि सीबीआई ने मामले की अपनी जांच के दौरान सच्चाई को सामने लाने के बजाय कुछ और चीज पर काम किया। फैसले में कहा गया है, ‘‘यह साफ तौर पर जाहिर होता है कि सीबीआई सच्चाई का पता लगाने के बजाय पहले से सोचे समझे गए एक खास और पूर्व निर्धारित सिद्धांत को स्थापित करने के लिए कहीं अधिक व्याकुल थी।’’ इसमें कहा गया है कि सीबीआई ने कानून के मुताबिक जांच करने के बजाय अपने ‘‘लक्ष्य’’ पर पहुंचने के लिए काम किया। फैसले में कहा गया है कि इस तरह पूरी जांच का लक्ष्य उस मुकाम को हासिल करने के लिए एक पटकथा पर काम करना था। साथ ही, राजनीतिक नेताओं को फंसाने की प्रक्रिया में सीबीआई ने साक्ष्य गढ़े तथा आरोपपत्र में गवाहों के बयान डाले।