By रेनू तिवारी | Oct 16, 2021
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषण की आलोचना की और कहा कि यह पूरी तरह झूठ और अर्धसत्य था। ओवैसी ने शुक्रवार रात को सिलसिलेवार ट्ववीट कर जनसंख्या नीति, अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने तथा अन्य मुद्दों पर भागवत के बयान की आलोचना की।
मोहन भागवत का भाषण झूठा है : ओवैसी
ओवैसी ने कहा, “हमेशा की तरह भागवत का आज का भाषण झूठ और इसमें आधा सत्य था। उन्होंने जनसंख्या नीति का आह्वान किया और यह झूठ फिर से बोला कि मुस्लिमों और ईसाईयों की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। मुस्लिम जनसंख्या दर में वृद्धि सबसे तेज गति से घटी है। कोई जनसांख्यिकीय असंतुलन नहीं है।” उन्होंने कहा कि बाल विवाह लिंग परीक्षण जैसी सामाजिक बुराइयों के प्रति चिंता करने की जरूरत है।
मोहन भागवत को असदुद्दीन ओवैसी ने दिया जवाब
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर ट्विट्स की लाइन लगा थी जिसमें उन्होंने मोहन भागवत के तमाम दावों का जवाब दिया है। ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत का भाषण "झूठ और अर्धसत्य" से भरा था। मुस्लिम आबादी में वृद्धि वाले दावों पर निशाना साधते हुए एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि दर में सबसे तेज गिरावट आई है। ओवैसी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जनसंख्या नियंत्रण नीति का मतलब कामकाजी आयु वर्ग में कम युवा होगा।
उन्होंने ट्वीट ने लिखा- "वे बढ़ती हुई आबादी का समर्थन कैसे करेंगे? आरएसएस प्रमुख मोहन ने तालिबान को आतंकवादी कहा। यह पीएम मोदी पर सीधा हमला है, जिनकी सरकार ने उन्हें हमारे दूतावास में होस्ट किया था। अगर वे आतंकवादी हैं, तो क्या सरकार उन्हें यूएपीए के तहत सूचीबद्ध करेगी?"
लोकसभा सांसद ने आगे आरोप लगाया, आरएसएस प्रमुख मोहन ने यह भी कहा कि कश्मीर में लोग अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का लाभ उठा रहे हैं। क्या यह इस साल 29 नागरिकों की लक्षित हत्याओं के साथ है? इंटरनेट बंद और सामूहिक हिरासत के साथ? भारत की सबसे अधिक बेरोजगारी दर 21.6 है। प्रतिशत जम्मू और कश्मीर में है।
तीसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि मोहन भागवत ने फिर से एनआरसी की मांग की। एनआरसी नागरिकों की भारतीयता पर संदेह करने और उन्हें परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं है। जिस सरकार के पास ऑक्सीजन की मौत, फ्रंटलाइन वर्कर्स की मौत, प्रवासी श्रमिकों की मौत या किसान आत्महत्या की गिनती नहीं थी, वह 1.37 बिलियन भारतीयों की नागरिकता को सत्यापित कर सकती है?
अपने हमले को समाप्त करते हुए, असदुद्दीन ओवैसी ने जोर देकर कहा कि आरएसएस ऐसे समाज में सह-अस्तित्व नहीं रख सकता जो आर्थिक रूप से प्रगति करना चाहता है। समाज को आरएसएस की कायरता और अशफाकउल्लाह खान की बहादुरी, आरएसएस के भारत के साथ विश्वासघात और गांधी की देशभक्ति, आरएसएस की रोना/नाराजगी और मौलाना आजाद की बुद्धि और शिक्षा के बीच चयन करना चाहिए। समाज को असमानता के लिए आरएसएस के प्यार और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व की अम्बेडकर की इच्छा के बीच चयन करना चाहिए।
क्या बोला था आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी डर का माहौल बनाने के लिए लोगों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीमाओं पर सेना की तैयारी हर तरह से और हर वक्त मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है। नागपुर के रेशमबाग मैदान में वार्षिक विजयादशमी रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने अगले 50 वर्षों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की समीक्षा एवं पुन: सूत्रीकरण के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध विषय सामग्रियों पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि वर्तमान में इन प्लेटफार्मों पर विभिन्न सामग्रियों का अनियंत्रित प्रसारण सभी के अंधाधुंध उपभोग के लिए खुला है।”
क्रिप्टोकरेंसी पर व्यक्त की भागवत ने चिंता
क्रिप्टोकरेंसी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि बिटक्वाइन जैसी गुप्त, अनियंत्रित मुद्रा में सभी देशों की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने और गंभीर चुनौतियों खड़ी करने की क्षमता है। जम्मू-कश्मीर के अपने हालिया दौरे का जिक्र करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिली विशेष शक्तियों के खत्म होने के बाद आम लोग लाभ ले पा रहे हैं। लेकिन एक कदम आगे बढ़ाते हुए, देश के बाकी हिस्सों में इसके भावनात्मक एकीकरण के लिए प्रयास करने की जरूरत है। भागवत ने कहा, “दिल-दिमाग मिलने चाहिए। किसी भी भारतीय का देश के साथ संबंध कारोबारी लेन-देन नहीं है। हमें यह भावना कश्मीर के लोगों के मन में जगानी होगी।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सरकार और लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं और इन प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत है।
अनुच्छेद 370 पर दिया बयान
भागवत ने कहा, “अनुच्छेद 370 के तहत विशेष प्रावधानों के निरस्तीकरण के बाद, आतंकवादियों के लिए डर खत्म हो गया है। लेकिन चूंकि वे अपने मकसदों को पूरा करने के लिए भय का इस्तेमाल करते हैं, (उन्हें लगता है) उनके लिए उस भय (लोगों के मन में) को वापस लाना महत्वपूर्ण है।” उन्होंने घाटी में सिखों और हिंदुओं की हाल में हुई हत्याओं का जिक्र करते हुए कहा, “यही कारण है कि वे मनोबल गिराने के लिए लक्ष्य बनाकर की जा रही हत्याओं का सहारा ले रहे हैं, जैसा वे पहले करते थे।” साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को उनसे प्रभावी तरीके से निपटना होगा ताकि जंग जीती जा सके। उनका यह बयान इस महीने की शुरुआत में महज पांच दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा कम से कम सात आम नागरिकों की हत्या के मद्देनजर आया है। मारे गए लोगों में से चार अल्पसंख्यक समुदायों के थे और छह मौतें श्रीनगर में हुई थीं।
तालिबान इस्लाम के नाम पर भावुक कट्टरता, अत्याचार और आतंकवाद फैलाना: भागवत
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि उनकी प्रवृत्ति - इस्लाम के नाम पर भावुक कट्टरता, अत्याचार और आतंकवाद सभी को उनके प्रति आशंकित करने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा लेकिन अब चीन, पाकिस्तान और तुर्की तालिबान के साथ एक अपवित्र गठबंधन में शामिल हो गए हैं। उन्होंने साथ ही कहा, “हम शालीनता से प्रतीक्षा नहीं कर सकते। सीमाओं पर हमारी सैन्य तैयारियों को हर तरफ और हर समय सतर्क और मजबूत रखने की जरूरत है।” भागवत ने कहा कि ऐसी स्थिति में, देश की आंतरिक सुरक्षा और स्थिरता को सरकार एवं समाज द्वारा सतर्कता एवं सजगता से संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने और साइबर सुरक्षा जैसी नई चिंताओं से अवगत होने के प्रयासों को तेज किया जाना चाहिए।
ओटीटी प्लेटफॉर्मों को लेकर, आरएसएस प्रमुख ने कहा कि वैश्विक महामारी की पृष्ठभूमि में ऑनलाइन शिक्षा शुरू की गई। स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को नियम के तौर पर मोबाइल फोन से जुड़े रहना पड़ता है। उन्होंने कहा, “ विवेक और एक नियामक ढांचे के अभाव में, यह अनुमान लगाना मुश्किल हो जाएगा कि निष्पक्ष और अनुचित साधनों के संपर्क की यह उभरती हुई घटना किस तरह और किस हद तक हमारे समाज को प्रभावित करेगी।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रविरोधी ताकतें किस हद तक इन माध्यमों का उपयोग करना चाहती हैं यह भलि भांति ज्ञात है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “इसलिए, सरकार को बिना किसी देरी के इन मामलों के नियमन के प्रयास करने चाहिए।” मंदिरों के प्रबंधन के विषय पर उन्होंने कहा कि सरकार के तहत जिनका प्रबंधन है, वे ठीक से काम कर रहे हैं। कुछ मंदिर बहुत साफ-सुथरे हैं और समाज की मदद करते हैं और कुछ भक्तों द्वारा संचालित भी अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। जहां ऐसी चीजें ठीक से काम नहीं कर रही हैं, वहां एक लूट मची हुई है। कुछ मंदिरों में शासन की कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण सामने आए हैं।” भागवत ने कहा, “हिंदू मंदिरों की संपत्ति का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जाता है - जिनकी हिंदू भगवानों में कोई आस्था नहीं है।
हिंदुओं को भी इसकी जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।” उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन को लेकर उच्चतम न्यायालय के कुछ आदेश हैं। साथ ही कहा कि हिंदू समाज इन मंदिरों का प्रबंधन कैसे करेगा इसपर एक फैसला लिए जाने की जरूरत है। सर संघचालक के मुताबिक सामाजिक चेतना अब भी जाति आधारित भावनाओं से प्रभावित है।