By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 11, 2020
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर पलटवार करते हुये कहा कि बैंक और कंपनियों के खातों के संकट के साथ साथ फंसे कर्ज की समस्या का पहाड़ विरासत में छोड़ कर जाने वालों से सीखने को कुछ भी नहीं है। चिदंबरम ने सोमवार को आम बजट पर राज्य सभा में चर्चा में भाग लेते हुये सोमवार को कहा था कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचा दिया है और अर्थव्यवस्था की कमान ‘अनाड़ी डाक्टरों’ के हाथ में है।
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निर्मला सीतारमण ने सदन में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुये कहा, ‘‘जिन लोगों ने अपने पीछे बैंकों के फंसे कर्ज की पहाड़ जैसी समस्या का छोड़ा है उनसे हमें कोई सीख नहीं लेनी है।’’उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री की टिप्पणी पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘‘2012- 13 में जब अर्थव्यवस्था की देख-रेख अनुभवी डाक्टर कर रहे थे तो उस समय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) देश से तेजी से खिसक रहा था।’’
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय देश की रक्षा-व्यस्था लुंज-पुंज हो गई थी और सैन्य साजोसामान का अभाव हो गया था। उन्होंने कहा कि चिदंबरम की बातों में तथ्य कम व्यंग्य ज्यादा थे।
सीतारमण ने कहा ‘‘ निश्चित रूप से हमने पहले ही तय कर रखा है कि हम संप्रग सरकार की गलतियों को नहीं दोहराएंगे।’’
वित्त मंत्री ने चिदंबरम के सवालों का जवाब देते हुये कहा बैंकों का कर्ज लेकर भागने वाले और बैंकों तथा कंपनियों की बिगड़ती बहीखातों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संपग्र) सरकार में जितने भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हुये उन सभी से देश को नुकसान पहुंच रहा है।
सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। औद्योगिकगतिविधियां बढ़ रही हैं। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह चालू वित्त वर्ष के छह महीने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।मोदी सरकार के कार्यकाल में खाद्य मुद्रास्फीति को स्वीकार्य स्तर से आगे नहीं निकलने दिया गया। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के समूचे कार्यकाल के दौरान अब तक वित्तीय अनुशासन को बनाये रखा गया है।
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