क्या पंजाब सरकार के साथ पार्टी से भी सिद्धू को निकाला जाएगा ?

By अनुराग गुप्ता | Jun 06, 2019

पंजाब सरकार में मंत्री और कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे नवजोत सिंह सिद्धू का विवादों से पुराना नाता रहा है। पंजाब में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ अनबन के बाद भाजपा ने अमृतसर से सिद्धू को टिकट नहीं दिया था जिसके बाद सियासी ड्रामा चला और सिद्धू भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। कभी कांग्रेस नीत वाली यूपीए सरकार पर आरोप लगाने वाले सिद्धू के तेवर कांग्रेस में शामिल होते ही बदल गए। मानो ऐसा प्रतीत हुआ कि कांग्रेस की वॉशिंगमशीन में सभी बयान साफ हो गए और अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सिद्धू को सरदार और असरदार दोनों लगने लगे थे।

कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी ने सिद्धू को सिर पर चढ़ा लिया और पुराने नेताओं को अनदेखा करके उन्हें स्टार प्रचारक बनाया। सिद्धू ने जिसके बाद गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जमकर प्रचार किया और उसका असर चुनाव नतीजों में दिखाई भी दिया और कांग्रेस को और भी ज्यादा मजबूती मिली। लेकिन 17वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों में पंजाब की 13 लोकसभा सीटों को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू आमने-सामने आ गए। 

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अमृतसर सीट से शुरू हुई सिद्धू की नाराजगी ने सुर्खियां बटोरीं। ज्ञात हो कि सिद्धू ने अपनी पत्नी नवजोत कौर के लिए यहां से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने गुरजीत सिंह औजला को टिकट दिया। जिसके बाद से मुखर होकर सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को आड़े हाथों लिया। यहां तक कि सत्ता परिवर्तन की बातें भी सामने आने लगी थीं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह तक कह दिया था कि सिद्धू मुझे रिप्लेस करके खुद पंजाब के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। कैप्टन और सिद्धू के बीच घमासान उस वक्त तेज हो गया था जब पंजाब में मतदान से पहले सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और टिकट नहीं देने का आरोप लगाया।

नवजोत कौर द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद जब पत्रकारों ने सिद्धू से सवाल पूछा था तो उन्होंने सीधे तौर पर यह कहा कि मेरी पत्नी कभी झूठ नहीं बोलती हैं। हालांकि यह विवाद तब और बढ़ा जब अमृतसर के साथ-साथ नवजोत कौर को चंड़ीगढ़ से भी टिकट नहीं दिया गया और सिद्धू बौखला कर बोले कि कैप्टन साहब को लगता है  कि मिसेज सिद्धू नहीं जीत सकतीं। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को देख इतना तो जरूर लगता है कि कांग्रेस आलाकमान द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को कुछ भी बोलने की छूट मिली हुई है। हालांकि कैप्टन ने तो पत्र लिखकर सिद्धू की शिकायत भी आलाकमान से की है। 

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पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही सिद्धू के साथ का विवाद पनपने लगा था। सबसे पहले द कपिल शर्मा शो को लेकर सवाल उठे तो कैप्टन ने कहा था कि वह एडवोकेट जनरल से इस बात की राय लेंगे कि क्या कोई व्यक्ति जो मंत्री है, वह वो काम कर सकता है। हालांकि जब पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान का शपथ ग्रहण समारोह था वहां पर सिद्धू पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा के गले मिले थे, जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी और फिर बाद में सिद्धू को द कपिल शर्मा शो से हटा दिया गया था। कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू के पाक जाने की आलोचना भी की थी और कहा था कि ऐसे समय में पाकिस्तान जाने की जरूरत ही क्या थी जब पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम उल्लंघन की वजह से भारतीय जवान शहीद हो रहे हैं। 

अब चुनाव के बाद क्या कहती है राजनीति?

लोकसभा चुनाव नतीजों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को बहुमत हासिल हुआ और नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बने। हालांकि पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से 4 पर ही एनडीए कब्जा कर पाने में सफल हुआ और एक सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई जबकि 8 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया। लेकिन कांग्रेस द्वारा 5 सीटें गंवाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में विधायकों और सांसदों को बुलाकर परिणाम की समीक्षा की गई जिसमें सिद्धू शामिल नहीं हुए।

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सिद्धू के बैठक में शामिल नहीं होने के बाद से विधायकों और मंत्रियों द्वारा उन्हें पार्टी से बर्खास्त किए जाने की बात उठने लगी। वहीं, 6 जून को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में भी सिद्धू शामिल नहीं हुए, जिसके बाद से कैप्टन और सिद्धू के बीच की दूरियां और भी ज्यादा बढ़ गई। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों को विशेष रूप से सूचना देकर बुलाया गया था। दरअसल इस बैठक में कांग्रेस के प्रदर्शन की समीक्षा के साथ-साथ प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

इस बैठक में शामिल नहीं होने के बाद सिद्धू ने अमरिंदर पर आरोप लगाए और कहा कि उन्हें अनुचित तौर पर कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और कुछ लोग उन्हें पार्टी से बाहर निकलवाना चाहते हैं। आपको ज्ञात हो तो सिद्धू ने भटिंडा और गुरदासपुर में कांग्रेस के लिए प्रचार किया था लेकिन पार्टी ये दोनों सीटें हार गई। हालांकि सिद्धू ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने मुझे महज पंजाब के 2 जिलों की जिम्मेदारी दी थी, जहां पर हमने बड़ी जीत हासिल की।  विशेषज्ञों की मानें तो सिद्धू के बड़बोले बयानों और पार्टी के नेताओं के प्रति दुर्व्यवहार की वजह से चुनाव में नुकसान झेलना पड़ा है। वहीं अमरिंदर ने भी विधायकों को यह साफ कर दिया है कि अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले नेताओं को अपना पद छोड़ना पड़ सकता है।

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