पटियाला में एक गुरुद्वारे के सरोवर के पास शराब पी रही महिला की क्रोधित श्रद्धालु ने गोली मार कर हत्या कर दी। महिला नशे की आदी और तनावग्रस्त थी। किसी पवित्र स्थल की मर्यादा भंग करना निस्संदेह एक अक्षम्य अपराध है परन्तु प्रश्न है कि दण्ड देने का अधिकार किसे हो? न्याय प्रणाली को या श्रद्धालु को? पर यहां श्रद्धालु ने विधि की मर्यादा का उल्लंघन कर दूसरा अपराध कर दिया। न्याय की दृष्टि से एक घटना से दो अपराधी जुड़ गए परन्तु यहां कसूरवारों का एक तीसरा वो वर्ग भी है जिसने हत्यारे श्रद्धालु पर पुष्पवर्षा की, उसे ‘कौम दा हीरा’ बनाने का काम किया। ये तीसरा वर्ग चाहे कानून के कठघरे में नहीं है परन्तु जब घटना की सामाजिक मिमांसा होगी तो यही लोग न्याय के मन्दिर में सबसे बड़े अपराधी के रूप में खड़े दिखाई देंगे जिन्होंने तालिबानीयत पर पुष्पवर्षा की। निर्ल्लज पुष्पवर्षा संकेत है कि तालिबानीयत तेजी से समाज के स्वस्थ हिस्से को संक्रमित कर रही है और इससे रुग्ण लोग अपने जैसे बीमार जहनों को नायक बना कर कट्टरपंथ के कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं।
देखने में आया है कि जैसे पंजाब में कट्टरपंथ को सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक स्वीकृति मिलती जा रही है, इस तरह की घटनाओं के खिलाफ न तो कोई बोलता है और न ही बुद्धिजीवी और न ही सिविल सोसाइटी। केवल इतना ही नहीं पन्थ से जुड़े कई धर्म संस्थान तो आरोपियों की पीठ पर खड़े दिखाई देने लगते हैं। पिछले सप्ताह पटियाला में गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब में एक महिला की गोली मारकर हत्या करने के मामले में पुलिस ने खुलासा किया है कि मारी गई महिला शराब पीने की आदि थी और वह तनाव में थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक गुरुद्वारे के सेवादार ने युवती को मना किया तो उसने बोतल तोड़कर सेवादार की बाजू पर मार दी। इस दौरान भीड़ इकट्ठी हो गई। युवती को गुरुद्वारा प्रबंधक के कक्ष में ले जाया गया, जहां साथ खड़े एक व्यक्ति ने पिस्तौल निकाली और चार गोलियां युवती पर चला दीं। आरोपी को जब न्यायालय में पेश किया गया तो संगत ने उसका दिल खोल कर स्वागत किया और उस पर नायकों की भांति फूलों की बरसात की गई।
वैसे पंजाब में इस तरह की तालिबानी हत्या कोई नई नहीं है। वर्ष 2015 हुई बेअदबी मामले में अब तक सात डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं की हत्या हो चुकी है। इस वर्ष फरवरी में फरीदकोट में डेरा प्रेमी प्रदीप सिंह की हत्या कर दी गई। इससे पहले 13 जून, 2016 को गुरदेव सिंह, 25 फरवरी 2017 को सतपाल शर्मा और उसके बेटे रमेश शर्मा की खन्ना के जगहेड़ा गांव में हत्या हुई थी। 23 जनवरी, 2019 को नाभा जेल में बंद मोहिंदर पाल बिट्टू की हत्या हुई। 20 जनवरी 2020 को मनोहर लाल की बठिंडा जिले के गांव भगताभाई में हत्या हुई। इसी तरह पिछले साल दिसंबर महीने में मुक्तसर जिले के भूंदड़ गांव में चरणदास की हत्या की गई। ज्ञातव्य है कि इनमें से कई आरोपियों पर छोटी-छोटी बात को लेकर गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी के केस दर्ज करवाए गए थे और बाद में विभिन्न कट्टरपंथियों ने इनकी हत्या कर दी।
पूरे देश ने देखा कि दिल्ली की सीमा पर चले कथित किसान आन्दोलन के दौरान निहंगों ने एक दलित युवक को बैरीकेड से लटका कर उसे वीडियो पर लाइव काट डाला। इसके बाद अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और कपूरथला के एक गुरुद्वारे में तालिबानी श्रद्धालु मानसिकता ने बेअदबी के आरोपियों की निर्मम हत्या कर दी। इसी महीने ही रोपड़ जिले में बेअदबी के आरोपी की जेल के अस्पताल में ईलाज के दौरान मौत हो गई और इसे स्वाभाविक मौत बता कर मामला रफा-दफा कर दिया गया। तोड़फोड़ से भयभीत आरोपी का परिवार पहले ही गांव छोड़ चुका था। कहने का भाव यह कि पंजाब में मर्यादा के नाम पर खुल कर खूनी और खाक का खेल खेला जा रहा है और समाज इस पर मौन धारण कर इन हत्याओं में बराबर के भागीदार बन रहा है।
अपराध करना गलत है और अपराध के प्रतिक्रम में किए गए अपराध को भी उचित नहीं ठहराया जा सकता, परन्तु अपराध व अपराधियों का महिमामण्डन ऐसा घोर सामाजिक कुकर्म है जो भविष्य के अपराधी तैयार करता है। समाज की मानसिकता को बीमार करता है। दुर्भाग्य की बात है कि अपराध व अपराधियों के स्तुतिगान का दुष्परिणाम भुगतने वाला पंजाब अपने अतीत से कुछ नहीं सीख पा रहा है। जिस तरह आज कट्टरपंथ का महिमामण्डन हो रहा है किसी समय शराब, नशे व हथियारों का भी इसी तरह गुणगान किया जाता रहा, इसी का परिणाम निकला कि दूध, घी और लस्सी की धरती कहे जाने वाले पंजाब को लेकर ‘उड़ता पंजाब’ जैसी फिल्में बनने लगीं। हथियारों के गुणगान ने राज्य में दर्जनों के हिसाब से गैंगस्टर पैदा किए। इन्हीं गैंगस्टरों, आतंकियों व नशा तस्करों के कोकटेल ने राज्य की अमन शांति व विकास को घुन की भांति चाट लिया। अगर कट्टरपंथियों का यशोगान यूं ही जारी रहा तो आने वाली नस्लों के लिए यही कट्टरपंथी लोग आदर्श बनेंगे। गलत आदर्श अपराधी समाज का निर्माण करेगा, जो देश-समाज के लिए कई तरह की परेशानियां पैदा करेगा। समय की मांग है कि राज्य में तालिबानीयत पर पुष्पवर्षा की प्रवृत्ति को रोका जाए। पंजाब के राजनीतिक दल, पंथक संस्थान, बुद्धिजीवी वर्ग व सामाजिक संगठन इस काम के लिए आगे आएं। यह देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए कि किस तरह ऋषि-मुनियों, पीरों-फकीरों व गुरुओं की धरती आज कट्टरपंथ की पौधशाला बनती दिख रही है। पहले से ही नशीले आतंक व खालिस्तानी अलगाववाद से ग्रस्त देश के सीमांत राज्य में बढ़ा हुआ कट्टरपंथ कई तरह की नई समस्याएं पैदा करेगा जो अंतत: पूरे देश को प्रभावित करेगा।
-राकेश सैन