By दिनेश शुक्ल | Aug 17, 2020
भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों के जन प्रतिनिधियों ने भाजपा की शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश भर के भाजपा और कांग्रेस के 200 से अधिक अध्यक्ष और महापौर ने सोमवार को भोपाल में मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने पहुँचे। लेकिन उन्हें पुलिस ने मुख्यमंत्री निवास से 500 मीटर की दूर पॉलिटेक्निक चौराहा पर ही रोक दिया और आगे नहीं जाने दिया। जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह से ही पूरे प्रदेश से नगर पालिका अध्यक्ष मुख्यमंत्री निवास पहुंचने लगे थे। इसे देखते हुए वहां पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। जिसके बाद यह सभी नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री निवास के पास ही एकत्र हो गए।
वही दोपहर तक जब इन जनप्रतिनिधियों की मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हुई तो वह भड़क गए। जिसके बाद एकत्र हुए इन नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों सहित नगर निगमों के महापौरो ने आरोप लगाए कि शिवराज सरकार ने अप्रैल माह में नगरीय निकायों का कार्यकाल बढाने की घोषणा की थी। इसके बाद जिला पंचायत और जनपद में तो शपथ दिलवा दी गई, लेकिन नगरीय निकाय अध्यक्षों को अब तक शपथ नहीं दी गई। मुख्यमंत्री के न मिलने से भड़के इन जनप्रतिनिधियों ने कहा कि यह सम्मान की बात है पद की नहीं। अगर अब भी सरकार ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया, तो वे किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। इसका अगामी होने वाले उपचुनाव में भी असर नजर आएगा।
गौरतलब यह है कि इन जनप्रतिनिधियों में 80 प्रतिशत भाजपा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने जल्द से जल्द पद नहीं मिलने पर उपचुनाव में किसी भी स्तर तक जाने की धमकी दी है। वही इस दौरान नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषद का कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर नारेबाजी भी की गई। मध्य प्रदेश में 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका और 272 नगर परिषद है। जहाँ कोरोना के चलते चुनाव न हो पाने की वजह से प्रदेश सरकार ने इसके कार्यकाल को आगे बढाने की घोषणा की थी।