Shiv Mandir: पाकिस्तान के शिव मंदिर में 3,000 साल से भी पुराना शिवलिंग, जानिए मंदिर का महत्व

By अनन्या मिश्रा | Sep 25, 2024

वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव को समर्पित तमाम मंदिर हैं। यह मंदिर बेहद प्राचीन हैं और इनकी अपनी मान्यताएं हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में भी शिव मंदिर हैं। जहां पर आज भी भगवान शिव की पूजा की जाती है। साल 1947 में जब देश का बटवारा हुआ तो अटारी और वाघा के बीच एक रेखा खींची गई।

विभाजन की इस रेखा से न सिर्फ हजारों-लाखों लोगों के घर, जमीन और खेत उजड़े बल्कि इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान में सिखों और हिंदुओं को अपने पूजा स्थलों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। हालांकि कुछ वर्षों बाद इन दो शिव मंदिरों का फिर से पुर्नजीवित किया गया। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पाकिस्तान में स्थित दो फेमस शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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चिट्टी-गट्टी शिवलिंग मंदिर

मनसेहरा से करीब 10 किमी की दूरी पर काराकोरम राजमार्ग पर स्थित चिट्टी गट्टी मंदिर है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा शिवलिंग है। यह शिव मंदिर 3000 साल से भी ज्यादा पुराना है। साल 1948 में पाकिस्तान के स्थानीय़ लोगों ने इस मंदिर को सीलकर आसपास की जमीन पर कब्जा कर लिया था। साल 1998 तक यह क्षेत्र की छोटी हिंदू आबादी के लिए बेहद दुर्गम बना रहा। फिर हिंदुओं ने अपनी आस्था और विरासत के लिए फिर से इस मंदिर में पूजा-अर्चना करना शुरूकर दिया।


3,000 साल से भी पुराना शिवलिंग

पाकिस्तान का अब सबसे लोकप्रिय मंदिरों में शामिल चिट्टी-गट्टी शिवलिंग मंदिर है। यह पाकिस्तान से तीर्थ यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। खासकर महाशिवरात्रि के मौके पर यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। पाकिस्तानी हिंदुओं द्वारा इस मंदिर की पुनर्स्थापना बड़े पैमाने पर की गई थी। जिन्होंने न सिर्फ श्रम बल्कि धन से भी योगदान किया। बताया जाता है कि इस मंदिर में 3000 साल पुरानी शिवलिंग है। यह पाकिस्तान का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है।


कटास राज मंदिर

बता दें कि पंजाब के चकवाल जिले में भव्य कटास राज शिव मंदिर पाकिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण और फेमस पवित्र हिंदू स्थलों में से एक है। कटास राज में वास्तव में सात मंदिर शामिल हैं। जो वर्तमान समय में सिर्फ तीन ही बचे हैं। जो मंदिर तालाब की परिधि के आसपास बने हैं और यह करीब 900 साल पुराना माना जाता है। इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के मुताबिक इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है।


मंदिर से जुड़ी मान्यता

मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव ने अपनी पत्नी सती की मृत्यु पर दो आंसू बहाए थे, तब इस तालाब का निर्माण हुआ था। बताया जाता है कि भगवान शिव की आंसू की एक बूंद से कटासराज में तालाब बन गया। तो वहीं दूसरा बूंद अजमेर के पुष्कर में गिरा था। उत्तरी पंजाब से हिंदुओं के चले जाने से कटासराज एक खंडहर में बदल गया और इस तालाब में कचरा भर गया। फिर साल 1982 में हिंदुओं ने मंदिर की पुर्नस्थापना की।


अन्य देशों में शिव मंदिर

भगवान शिव एक हिंदू देवता हैं। भगवान शिव की पूजा लोग अज्ञान विनाशक के रूप में भी करते हैं। हिंदू धर्म में तीन मुख्य देवताओं में से एक के रूप में उनकी पूजा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में की जाती है। भारत के अलावा भी अन्य देशों में शिव मंदिर हैं। बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, केंद्र शासित प्रदेश और पाकिस्तान के अलावा अन्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी फेमस शिव मंदिर हैं।

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