शिवाजी की उपाधि छत्रपति थी, न कि जाणता राजा: शरद पवार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 15, 2020

सतारा (महाराष्ट्र)। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी भी ‘जाणता राजा’ कहलाने की मांग नहीं की थी लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि 17वीं सदी के योद्धा राजा शिवाजी के लिए सही उपाधि ‘‘छत्रपति’’ थी। उन्होंने कहा कि ‘जाणता राजा’ की उपाधि को कवि संत समर्थ रामदास द्वारा गढ़ा गया था। उन्होंने कहा कि रामदास शिवाजी के ‘‘गुरु’’ नहीं थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना शिवाजी से करने वाली एक पुस्तक को लेकर हुए विवाद के बीच भाजपा नेता और राकांपा के पूर्व सांसद उदयनराजे भोंसले ने मंगलवार को पवार पर निशाना साधते हुए कहा था कि केवल शिवाजी को ‘जाणता राजा’ कहा जाना चाहिए। 

 

पवार के समर्थक कभी कभी राकांपा प्रमुख की प्रशंसा में उनके लिए इस उपाधि का इस्तेमाल करते है। सतारा जिले के खताव में एक कार्यक्रम में पवार ने भोंसले का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘किसी ने कहा कि जाणता राजा शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है...मैंनेकिसी को भी मुझे जाणता राजा कहने के लिए कभी भी नहीं कहा।’’ भोंसले ने पिछले वर्ष राकांपा से इस्तीफा दे दिया था। पवार ने कहा, ‘‘लेकिन यदि आप शिवाजी महाराज के इतिहास का अध्ययन करते हैं, तो उनकी उपाधि ‘छत्रपति’ थी, न कि ‘जाणता राजा’। रामदास ने ‘जाणता राजा’ शब्द गढ़ा था।’’उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि रामदास शिवाजी महाराज के गुरु थे, लेकिन यह सच नहीं है। रामदास शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे, लेकिन राजमाता जीजामाता (शिवाजी की मां) थी।’’ 

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भाजपा नेता जयभगवान गोयल द्वारा लिखित एक पुस्तक ‘‘आज के शिवाजी: नरेन्द्र मोदी’’ को लेकर इस सप्ताह की शुरूआत में एक विवाद खड़ा हो गया था जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को आधुनिक समय का शिवाजी बताया गया था। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने इस पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि किसी की तुलना महान राजा से नहीं की जा सकती है। इस बीच राकांपा कार्यकर्ता नितिन देशमुख ने मुंबई के घाटकोपर क्षेत्र में एक पोस्टर लगाया है जिसमें कहा गया है कि पवार वास्तव में ‘जनता राजा’ थे।

 

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