Sheshnag Temple: उत्तराखंड का मंदिर जहां शराबबंदी का कारण हैं नागदेवता
By सूर्या मिश्रा | Dec 23, 2022
हिन्दू धर्म में नाग देवता की पूजा का विशेष रूप से महत्व है, खासकर उत्तराखंड में नागों के प्रति विशेष श्रद्धा भाव देखा जाता है। यहां लगभग सभी स्थानों पर नाग देवता के मंदिर स्थापित है जिनमें नाग देवता की विधिवत पूजा की जाती है। यहां नाग को लोक कल्याण करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उत्तराखंड में शेषनाग के समस्त परिवार और कालिया नाग परिवार की पूजा की जाती है।
नागदेवता के प्रति आस्था है शराब ना पीने की वजह कुपड़ा गांव की कुल आबादी लगभग 600 है। यहां के निवासियों की मान्यता है, यदि वो शराब को हाथ लगाएंगे तो नाग देवता उनसे नाराज हो जायेंगे और गांव का अनिष्ट कर देंगे। 30 साल पहले यहां के लोगों ने नाग देवता को साक्षी मानकर शराब ना पीने की कसम ली थी और आज भी इस पर कायम है। इस गांव के आस-पास के गांव भी शराब के नशे से मुक्त हैं। कुपड़ा गांव में और आस-पास के सभी गावों जैसे त्रिखली, ओजली, और कुंसला में अतिथियों का स्वागत दूध, छांछ और दही से किया जाता है। शादी विवाह जैसे समारोह में भी शराब का प्रयोग नहीं किया जाता है।
कहां है शेषनाग देवता का मंदिर उत्तरकाशी के बड़कोट तहसील में कुपड़ा गांव है जहां नाग देवता का मंदिर स्थित है। स्यान चट्टी से वाहन द्वारा और इसके बाद तीन किलोमीटर पैदल चलने के बाद आप शेषनाग देवता के मंदिर तक पहुंचेंगे। मंदिर का निर्माण देवदार की लकड़ी से किया गया है जिस पर खूबसूरत नक्काशी की गयी है। मंदिर बहुत ही भव्य है और प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। मंदिर का जीर्णोद्वार 2008 में कराया गया है। यहां से यमुनोत्री धाम भी निकट है।
नागपंचमी को होता है मेले का आयोजन हर वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर मंदिर में भव्य मेले के आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस मेले में गांव के लोग अपने गांव घर और पशुओं की खुशहाली और अच्छी सेहत के लिए दूध, मक्खन और छांछ का चढ़ावा नाग देवता को चढ़ाते हैं। इस मेले के दौरान यहां दूध की होली खेली जाती है, इस मेले में यहां के लोक नृत्य और पारम्परिक लोकगीतों का आयोजन किया जाता है खासकर यहां के प्रसिद्ध लोक नृत्य तांदी की धूम रहती है।