Year Ender 2024: शेख हसीना-असद को छोड़ना पड़ा देश, अमेरिका में ट्रंप युग का प्रारंभ, रईसी की मौत का गुमनाम रहस्य और युद्ध के साये में कई देश

By अभिनय आकाश | Dec 20, 2024

बम घरों पर गिरें कि सरहद पर, रूह-ए-ता'मीर ज़ख़्म खाती है।

टैंक आगे बढ़ें कि पिछे हटें, कोख धरती की बाँझ होती है।

मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की ये पंक्तियां आज दुनिया भर में जारी युद्ध पर सटीक बैठती हैं। इजरायल और हमास की जंग जारी है। रूस और यूक्रेन तो बीते तीन वर्षों से जंग की आग में झुलस रहा है। लेबनान के साथ भी इजरायल की जंग चल रही है। ईरान में भी उथल पुथल देखने को मिली है। वैसे तो वर्ष 2024 महाद्वीपों में फैले देशों की किस्मत को आकार देने वाली कई राजनीतिक घटनाओं का गवाह बना है। वैश्विक राजनीति में एक परिवर्तनकारी का साल रहा है। इसमें रिकॉर्ड संख्या में महत्वपूर्ण चुनाव शासन और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के भविष्य को आकार दे रहे थे। दक्षिण कोरिया जैसे देश, जो लोकतंत्र को महत्व देने के लिए जाना जाता है। लेकिन वहां थोड़े समय के लिए ही सही, आपातकाल लगा दिया। भारत में पीएम मोदी सत्ता विरोधी लहर को हराकर लगातार तीसरी बार पीएम बने, जबकि पड़ोस में, बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का पुनरुत्थान हुआ।

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हमास से छेड़ा और अब इजरायल छोड़ नही रहा

हमास ने 7 अक्टूबर, 2023 को इस्राइल पर बड़ा हमला किया। जवाब में इस्राइली सेना ने भी गाजा पट्टी पर हवाई और जमीनी हमले शुरू कर दिए। हिज्बुल्लाह, यमन के हूती विद्रोहियों, सीरिया, इराक और ईरान के एकसाथ आने के बाद भी वे इस्राइल को नहीं झुका पाए और 2024 के अंत तक हमास के तेवर ढीले पड़ गए। अब वह जंग रोकने की गुहार लगा रहा है। गाजा के करीब 20 लाख लोग युद्ध के कारण बेघर हो चुके हैं। हमास के एक नेता ने कहा है कि गाजा में युद्ध विराम के लिए बातचीत फिर से शुरू हो गई है। युद्ध को समाप्त करने के लिए जल्द समझौते की उम्मीद है। यानी, 2025 में मिडिल-ईस्ट में एक बड़े युद्ध पर विराम लग सकता है।

अर्मेनिया और अज़रबैजान की जंग ने तोड़ी कमर

विवादित नागोर्नो-करबख क्षेत्र को लेकर आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच हिंसक जंग ने दोनों को नुकसान पहुंचाया है। दोनों के बीच रुक-रुक कर हमले और मौत की खबरें आती रह है। इस क्षेत्रीय विवाद और जातीय संघर्ष ने नागोर्नो- करबाख क्षेत्र के आर्थिक-सामाजिक और राजनीतिक विकास को भी खासा प्रभावित किया है। एक्सपर्ट कहते है कि पुख्ता तो कुछ नहीं कह सकते, लेकिन 2025 में दोनों के बीच संबंध सुधरने के हालात बन रहे।

 यूक्रेन को रूस पर बढ़त

20 फरवरी 2022 को शुरू हुए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को करीब-करीब तीन साल होने वाले है। यूक्रेन ने अपने कब्जे वाले 54% क्षेत्र को फिर से हासिल कर लिया है। अब भी देश के 18% हिस्से पर रूस का कब्जा है। रिपोर्ट के मुताबिक रूस यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला करने की योजना बना रहा है। दूसरी तरफ, यूक्रेन अब जंग के मैदान में सैनिकों से ज्यादा ड्रोन की मदद ले रहा है।

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अमेरिकी चुनाव

कुमार पाशी का एक शेर है- एक कहानी ख़त्म हुई है एक कहानी बाक़ी है, मैं बे-शक मिस्मार हूँ लेकिन मेरा सानी बाक़ी है। ये लाइनें डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और इसके दुनिया पर पड़ने वाले असर पर एकदम सटीक बैठती है। ट्रंप की वापसी की चर्चा न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया में हुई। इसकी कई वजहें हैं। इस समय दुनिया में दो बड़े युद्ध इजरायल और हमास के बीच और रूस व यूक्रेन के बीच चल रहे हैं। ट्रंप अपने चुनावी कैंपेन में कह चुके हैं कि वो जीते तो जंग रोक दूंगा। जीत के बाद भी उन्होंने ये बातें दोहराई हैं। ट्रंप का राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण समारोह 20 जनवरी 2025 को होगा, जिसके बाद वो आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति पद की शक्ति हासिल कर पाएंगे और जिम्मेदारियां संभालेंगे। यह देखना बाकी है कि ट्रम्प का दूसरा कार्यकालदुनिया के लिए क्या मायने रखेगा। अमेरिका दुनिया पर अपना प्रभुत्व छोड़ने को तैयार नहीं है। वह जिस चीज से पीछे हटना चाहता है वह नेतृत्व की भूमिका है, जहां उसके सहयोगी सुरक्षा के लिए उस पर निर्भर थे।

साउथ कोरिया में मॉर्शल लॉ, महाभियोग

इमरजेंसी, मॉर्शल लॉ, महाभियोग और रक्षा मंत्री का इस्तीफा साउथ कोरिया की बीती रात इन्हीं हेडलाइन्स के साथ बीती है। 3 दिसंबर की रात लगभग साढे़ दस बजे साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल टीवी पर आए और अचानक पूरे देश में मॉर्शल लॉ लगाने की घोषणा कर दी। कहा कि नार्थ कोरिया के कम्युनिस्ट शासन से देश को खतरा है। राष्ट्रपति के इस फैसले का विरोध किया। घंटे भर के अंदर हजारों लोग संसद को घेर चुके थे। 6 घंटे के लिए ही सही लेकिन साउथ कोरिया 40 साल बाद मार्शल लॉ की भेंट चढ़ा। 

शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश

इसी साल जून में नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और जनवरी में शेख़ हसीना पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं थी। मोदी के शपथ ग्रहण के कुछ दिन बाद शेख़ हसीना भारत आईं. नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में किसी विदेशी नेता की यह पहली राजकीय यात्रा थी। लगभग डेढ़ महीने बाद शेख़ हसीना एक बार फिर भारत आईं लेकिन बतौर प्रधानमंत्री नहीं।शेख़ हसीना ने इस्तीफ़ा दिया और बांग्लादेश में 84 वर्षीय नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली।  इस बार जब वह भारत पहुंचीं तो बांग्लादेश में लाखों छात्र और लोग सड़कों पर थे। ढाका और इस्लामाबाद के बीच गहराते रिश्ते पड़ोसी देश भारत के लिए चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बांग्लादेश द्वारा अनिवार्य भौतिक निरीक्षण को ख़त्म करने से अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों की आवाजाही को बढ़ावा मिल सकता है।

रईसी की मौत का गुमनाम रहस्य

ठिठुरन वाली ठंड, घना कोहरा और कोहरे से घिरे पहाड़ के बीच एक हेलीकॉप्टर को ढूंढ़ने की तलाश 20 घंटे बाद पूरी हुई। इसके साथ ही दुनिया को आधिकारिक तौर पर ईरान की तरफ से बताया गया कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी यात्रियों की मौत हो गई है। उस हेलीकॉप्टर में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री अब्दुल्ला हियान बैठे थे। भारत, पाकिस्तान, रूस और चीन जैसे देशों के दोस्त के साथ इब्राहिम रईसी हिज्बुल्ला, हमास और हूती जैसे आतंकवादी संगठनों के हिमायती भी थे। उनके दुश्मनों की लिस्ट में अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के साथ साथ ईरान के कुछ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। इजरायली मीडिया आउटलेट येनेट न्यूज ने ईरान इंटरनेशनल का हवाला देते हुए बताया कि खामेनेई एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। सोशल मीडिया पर कई अपुष्ट रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि वो या तो कोमा में हैं। दगगग

पाकिस्तान में फिर एक बार शहबाज 

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में आठ फरवरी को चुनाव हुए और 13 फरवरी को नतीजे आए। लेकिन सरकार का गठन 24 दिन बाद 3 मार्च को हुआ। शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 24वें प्रधानमंत्री बने। शहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुने गए। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) केउमर अयूब खान से अधिक वोट हासिल करने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में उनके नाम पर मुहर लग गई।

भारत और चीन

भारत और चीन के बीच बिगड़े हालात 2024 में बेहतर हुए हैं। दोनों देशों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 2020 से पहले की स्थिति को फिर से बहाल करने पर सहमत होना उनके संबंधों में सुधार की दिशा में एक अहम कदम है। 2017 में शुरू हुए डोकलाम विवाद और 2020 में गलवान की घटना के बाद से बढ़े तनाव के बीच दोनों देशों ने सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी थी। दोनों देशों के बीच अब गश्त बहाली और अन्य फैसलों से इस इलाके में शांति स्थापित होने की संभावना बढ़ी है। चीन के साथ भारत की मुश्किलें केवल सीमा तक सीमित नहीं हैं। नए साल में हमें साउथ एशिया में चीन के व्यवहार को लेकर भी सतर्क रहने की जरूरत है।

असद को छोड़ना पड़ा देश

विद्रोहियों ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल- असद के शासन को समाप्त कर दिया। 30 नवंबर को अलेप्पो पर कब्ज़ा करने के साथ विद्रोहियों ने एक भीषण युद्ध का ऐलान किया, जिसमें 8 दिसंबर को उन्हें बड़ी सफलता मिली। असद को रूस में शरण लेनी पड़ी। इस उथल-पुथल ने सीरिया में असद परिवार के 50 साल से अधिक पुराने शासन और 2011 से चल रहे सीरियाई गृहयुद्ध को करीब- करीब समाप्त कर दिया।

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