By अंकित सिंह | Nov 20, 2024
प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने रूस यूक्रेन जंग, भारत की बढ़ती सैन्य ताकत और पश्चिम एशिया में मचे हलचल को लेकर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से बातचीत की है। हमेशा की तरह डीएस त्रिपाठी ने रूस-यूक्रेन जंग पर काफी विस्तृत बात की है। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि पुतिन किस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय सेना भविष्य की रणनीति के तहत अपनी तैयारी में जुटी हुई है। हम दोस्ती भी कर रहे हैं लेकिन हम किसी भी परिस्थिति के लिए खुद को तैयार भी रख रहे हैं। इजरायल और हमास के बीच शुरू ही जंग पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि नेतन्याहू का मकसद साफ है और इस मकसद से वह आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
उत्तर- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि 1000 दिन पूरे हो गए हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद यूरोप और खुद यूक्रेन भी यह समझ नहीं पा रहा है कि आगे क्या करना है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। वह लगातार यूक्रेन की ओर बढ़ रहे हैं। पुतिन का एम जहां क्लियर नजर आ रहा है, वहीं यूक्रेन कंफ्यूजन में है। त्रिपाठी ने कहा कि रूस ने अपनी एयर डिफेंस को मजबूत किया है। वहीं, नाटो सहित तमाम देश अब अपना हित पहले देख रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले 1000 दिनों में रूस के खिलाफ कोई सफलता नहीं मिली है उल्टा नुकसान हुआ है। रूस जहां अटैकिंग मोड में है। वही यूक्रेन डिफेंसिव मोड में है। यूक्रेन का नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन के छोटे-मोटे पलटवार से रूस को कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा। पुतिन को जो करना है, वह कर रहे हैं। यूक्रेन एफ16 का भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। हालांकि, पुतिन यह भी कह रहे हैं कि वह सब कुछ नॉर्मल करने के पक्ष में है लेकिन अपनी शर्तो पर।
उत्तर- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि जब से हाइपरसोनिक मिसाइल दुनिया में आई है, तब से इसका बड़ा शोर हुआ है। रूस और चीन को इसमें कामयाबी भी मिल गई है। अमेरिका भी अभी पीछे है। ऐसे में भारत की सफलता कहीं ना कहीं चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को चिंतित जरूर कर सकता है। हालांकि, यह बात भी सही है कि भारत ने यह सफलता रूस की मदद से हासिल किया है। भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल की क्षमता 1700 किलोमीटर की है जो कि आगे भी बढ़ सकती है। हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी पाथ को कोई प्रेडिक्ट नहीं कर सकता है। 2009 से भारत में इसे बनाने की शुरुआत हुई थी लेकिन सफलता अब मिली है। अमेरिका अब तक सफल नहीं हो पाया है। यह हमारे लिए मिलिट्री और डिप्लोमेटिक दोनों तौर से देखें तो जीत को दर्शाता है। इससे चीन पर दबाव बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
उत्तर- इजरायल-हमास युद्ध पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि नेतन्याहू का लक्ष्य बिल्कुल साफ है। नेतन्याहू इस दिशा में बढ़ रहे हैं कि इजरायल के दुश्मनों का पूरी तरीके से खत्म करना है। वह शांति प्रक्रिया पर भी अपनी शर्तों पर सहमत होने की बात कर रहे हैं। हमास लगभग 80% तक खत्म हो गया है। हिज्बुल्लाह इजरायल के टारगेट पर है। लेबनान का भी लगातार नुकसान हो रहा है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि इस युद्ध में सबसे ज्यादा मानवीय त्रासदी हुई है। इंफ्रास्ट्रक्चर डैमेज हुआ है। वही इजरायल जो चाहता था, उस दिशा में उसे बढ़ने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा पर लगभग इजरायल का कब्जा होता दिखाई दे रहा है। इजरायल का पूरा फोकस है। अब ईरान से भी हमास को मदद नहीं मिल रही है। ईरान की ताकत पूरी तरीके से खत्म हो गई है।
उत्तर- इस सवाल के जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि नाम से ही जाहिर होता है कि इसका मकसद क्या हो सकता है। इसमें तीनों सेनाओं ने पार्टिसिपेट किया था। यह कहीं ना कहीं सैन्य कौशल और सैन्य क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आयोजित किया गया था। अगर इसका आयोजन पूर्वी क्षेत्र में किया गया था तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे फोकस में क्या था। उन्होंने कहा कि चीन पर हम भरोसा नहीं कर सकते हैं। चीन के साथ जहां सब कुछ नॉर्मल करने के लिए बातचीत हो रही है, वहीं हमें अपनी ताकत को बढ़ानी होगी। हमें किसी भी परिस्थिति के लिए खुद को तैयार रखना होगा। इस आयोजन का मकसद तीनों सेनन के बीच समन्वय को बढ़ाना था। साथ ही साथ भविष्य की युद्ध की रणनीति को तैयार करने की कोशिश के तौर पर भी इस अभ्यास को देखा जा सकता है।