Shardiya Navratri 2022: जानें कलश स्थापना का समय और पूजन विधि

By अनीष व्यास | Sep 03, 2022

एक वर्ष में दो बार छह माह की अवधि के अंतराल पर नवरात्रि आती हैं। मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि सोमवार 26 सितम्बर 2022 से आरंभ हो रही हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर- जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष नवरात्रि का आरंभ सोमवार से होने जा रहा है और नवरात्रि का समापन गुरुवार 4 अक्टूबर को होने जा रहा है।


घट स्थापना का मुहूर्त

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया इस साल घटस्थापना का मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 19 मिनट तक है। इस बीच घट स्थापना कर देवी की पूजा अर्चना ज्योत, कलश स्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त- शाम 12 बजकर 06 मिनट से शाम 12 बजकर 54 मिनट तक इसकी अवधि- 48 मिनट है।


शारदीय नवरात्रि 

26 सितम्बर 2022 (सोमवार) - प्रतिपदा घटस्थापना मां शैलपुत्री पूजा

27 सितंबर 2022 (मंगलवार) -  द्वितीया  माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

28 सितंबर 2022 (बुधवार) - तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा

29 सितंबर 2022 (गुरुवार) - चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा 

30 सितंबर 2022 (शुक्रवार) - पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा 

01 अक्टूबर 2022 (शनिवार) - षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा 

02 अक्टूबर 2022 (रविवार) - सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा 

03 अक्टूबर 2022 (सोमवार) - अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा पूजा

04 अक्टूबर 2022 (मंगलवार) - मां सिद्धरात्री पूजा, दुर्गा महानवमी पूजा


शारदीय नवरात्रि महत्व

कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है। इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है। आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं। यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है।

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कलश स्थापना की सामग्री 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र जौ मिट्टी जल से भरा हुआ कलश मौली इलायची लौंग कपूर रोली साबुत सुपारी साबुत चावल सिक्के अशोक या आम के पांच पत्ते नारियल चुनरी सिंदूर फल-फूल फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।


कैसे करें कलश स्थापना

भविष्यवक्ता अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें। मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया दूब सुपारी इत्र और अक्षत डालें। इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें। फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।


- अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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