नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, माँ शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है। इस वजह से ही माँ भगवती के स्वरुप को शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सारे कष्ट और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माँ शैलपुत्री भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करने वाली है।
कैसे करें माँ शैलपुत्री की उपासना ?
नवरात्रि में सुबह और शाम दोनों समय पूजा और आरती जरुर करनी चाहिए। पहले नवरात्र पर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र को लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। मां को सफ़ेद रंग अति प्रिय है और वह सफ़ेद रंग के वस्त्र ही धारण करती है इसलिए माँ को सफेद या लाल रंग के फूल ही अर्पित करें। इसके बाद मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें, माँ को सफ़ेद रंग से बनी मिठाइयों का भोग लगायें। कहा जाता है कि माँ शैलपुत्री को शुद्ध घी का भोग लोगों को बीमारियों और बीमारी से मुक्त जीवन का आशीर्वाद देता है। इसके बाद एक सफेद आसन पर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें और 'ॐ शैलपुत्रये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
- रौनक