By डा. अनीष व्यास | Jun 03, 2022
शनिदेव को न्याय व कर्म का देवता माना गया है। जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है शनिदेव उसे वैसा ही फल देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह-नक्षत्रों में शनि सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं। शनिदेव की उपस्थिति एक राशि में ढाई साल तक रहती है। इसके बाद ही वे अपना गोचर करते हैं। शनि इस वक्त अपनी राशि कुंभ राशि में विराजमान हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 5 जून को कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे यानी शनि कुंभ राशि में ही उल्टी दिशा में चलने लगेंगे और फिर 12 जुलाई को मकर राशि में आ जाएंगे। इसके बाद 25 अक्टूबर मार्गी होकर 17 जनवरी को वापस कुंभ राशि में आ जाएंगे। शनि की उल्टी चाल 05 जून देर रात 03:16 मिनट पर शुरू होगी। इसके बाद शनि कुंभ राशि में 23 अक्टूबर तक वक्री अवस्था में रहेंगे। इस तरह से शनि कुल 141 दिन वक्री अवस्था में रहेंगे। शनि के वक्री होने पर इसका प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलेगा।
देश-दुनिया पर असर
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि करीब ढाई साल अपने घर में रहेंगे। जिससे देश के लिए ये बदलाव फायदेमंद होगा। अनाज की अच्छी पैदावार के साथ बाजार में उछाल आने के आसार हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रगति होगी, लेकिन प्राकृतिक आपदा प्रभावित कर सकती है। इस साल शनि देव वक्री होकर मकर राशि में फिर से आएंगे। जिसके अशुभ प्रभाव से आतंकी घटनाएं बढ़ सकती हैं। महत्वपूर्ण पद वालों को सुरक्षा और सेहत का खासतौर से ध्यान रखना होगा। अस्थिरता बढ़ सकती है।
वक्री शनि का प्रभाव
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि के शुभ प्रभाव से लोगों के रुके हुए काम पूरे होंगे। प्रॉपर्टी से जुड़े मामले सामने आएंगे। कुछ नौकरीपेशा लोगों के ट्रांसफर की स्थिति बन सकती है। प्रमोशन हो सकता है। कामकाज की जिम्मेदारी भी बढ़ने के योग हैं। बिजनेस करने वालों के भी काम करने की जगह पर बदलाव होगा। रहने की जगह भी बदल सकती है। वहीं, इसके अशुभ प्रभाव से कुछ लोगों को पैर में या हड्डी की चोट लग सकती है। ऑपरेशन की स्थिति भी बनेगी। साढ़ेसाती वालों को कर्जा लेना पड़ सकता है। कामकाज में बार-बार बदलाव की स्थितियां बनेंगी।
राशियों पर असर
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि की उल्टी चाल का प्रभाव सबसे अधिक कर्क, सिंह, कन्या, मकर, वृश्चिक और कुंभ राशि के जातकों पर पड़ेगा। इन सभी राशि पर शनि की टेढ़ी नजर होगी। बता दें कि शनि ग्रह के गोचर से मीन राशि पर साढ़े साती आरंभ हो गई है। वहीं कुंभ राशि पर साढ़े साती का दूसरा चरण, मकर राशि पर साढ़े साती का अंतिम चरण, कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर ढैय्या का आरंभ हो गई है। 29 अप्रैल 2022 में शनि के कुंभ में प्रवेश करते ही मीन जातकों पर शनि साढ़े साती तो वहीं कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो चुकी है। लेकिन 12 जुलाई 2022 में फिर से शनि के मकर राशि में गोचर करने से धनु, मिथुन और तुला जातक फिर से शनि की महादशा की चपेट में आ जायेंगे यानि कुल मिलाकर 2022 में मिथुन, तुला, कर्क, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन इन राशियों के जातकों को शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा।
शुभ फल
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि यदि आपकी जन्म कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हैं तो आपको शनि की वक्री चाल के समय भी शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं जो व्यक्ति धर्म के काम करता है उसको भी शनि कष्ट नहीं पहुंचाते हैं। शनि के बारे में मान्यता है कि ये लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं।
शनि की वक्री चाल
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी की जन्म कुंडली में शनि वक्री अवस्था में बैठे हुए हैं और उस कुंडली के लिए शुभ फल कारक ग्रह है तो शनि का वक्री होना शुभ लाभकारी माना जाता है। इसी तरह यदि अशुभ होकर शनि वक्री हों तो अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। वक्री शनि के शुभ होने पर कार्य क्षेत्र में तरक्की मिलती है वहीं अशुभ होने पर कार्यों में रुकावट आती हैं।
उपाय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शिव उपासना और हनुमत उपासना करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा एवं शनि चालीसा का पाठ करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को सरसों के तेल का दीपक जलाएं, दर्शन का लाभ लें। मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। शनिवार के दिन शनि मंदिर में छाया दान अवश्य करें। गरीब, वृद्ध, असहाय लोगों को भोजन कराएं। पशु पक्षियों के लिए दाने, हरे चारे, पानी की व्यवस्था करें। तेल का दान भी करना चाहिए। तेल दान करने से आपको अपने कष्टों से छुटकारा मिलता है। शनिवार को लोहे से बनी चीजों को दान करना चाहिए। इस दिन लोहे का सामान दान करने से शनि देव शांत होते हैं। लोहा दान देने से शनि की दृष्टि निर्मल होती है। रुद्राक्ष की माला लेकर एक सौ आठ बार ॐ शं शनैश्चराय नमः का जप करें, शनिदेव की कृपा बनेगी और कष्ट दूर होंगे। काले कुत्ते को शनिवार के दिन सरसों के तेल से बनी रोटी खिलाएं। सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
इन गलतियों को करने से बचें
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि किसी असहाय को बेवजह परेशान नहीं करें। मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल नही करें। कमजोर व्यक्तियों का अपमान न करें। अनैतिक कार्यों से दूर रहें।
- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक